कौन बड़ा – कौन छोटा
अंक ‘नौ’ की कहानी तो आप सबने सुनी होगी| वैसे परिचय के लिए बता दूँ कि संख्या ‘नौ’ एकल अंक में सबसे बड़ा अंक है|
एक बार संख्या ‘नौ’ को अपने-आप पर घमंड हो आया कि मुझसे बड़ा कोई नहीं है और उसने अपना रुतबा दिखाते हुए संख्या ‘आठ’ को एक थप्पड़ जड़ दिया| बेचार ‘आठ’ अपने छोटे होने की वजह से कुछ नहीं कह सका और अपमान का घूँट पीकर रह गया, लेकिन उसे अपना गुस्सा कहीं-न-कहीं तो निकलना ही था, सो उसने यही हरकत ‘सात’ के साथ की| ‘सात’ ने ‘छ:’ के साथ, ‘छ:’ ने ‘पाँच’ के साथ, ‘पाँच’ ने ‘चार’ के साथ, ‘चार’ ने ‘तीन’ के साथ और ‘तीन’ ने ‘दो’ के साथ| ‘दो’ भी तो एक से बड़ा है वह कहाँ से चुप बैठने वाला था, उसने भी ‘एक’ को एक करारा थप्पड़ जड़ दिया|
बेचारा ‘एक’ अब क्या करे...? मगर वह तो ‘एक’ है, बिना ‘एक’ के दो अंकों की संख्या बन ही नहीं सकती है| इससे पहले की ‘एक’ कुछ करता ‘शून्य’ बहुत घबरा गया| जैसे ही एक शून्य के पास आया, शून्य ने गिड़गिड़ाते हुए कहा, “मुझे मत मारिए|” ‘एक’ ने कहा, “नहीं शून्य, घबराओ मत मैं तो तुम्हें सहारा दूँगा| तुम्हें अपने पीछे छिपा लूँगा और अपने साथ-साथ तुम्हारा भी मान बढ़ाऊँगा|” ‘शून्य’ शून्य होते हुए भी भावनाओं से भर गया| अब दोनों मिलकर ‘दस’ हो गए थे| ‘एक’ को देखकर सबकी आँखें खुली और सबने एक-एक करके ‘शून्य’ के साथ-साथ सभी को सहारा और महत्त्व देना शुरू किया|
सबने मान लिया कि अब हममें से कोई बड़ा नहीं होगा और ना कोई छोटा होगा| हमसे काम निकालने बाले सोचें कि कौन बड़ा है और कौन छोटा है|
प्रीति एम
बंगलौर
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