Thursday 7 December 2023

सत्ता - डॉ० उषा पाण्डेय 'शुभांगी'

 


सत्ता

सत्ता एक शक्ति है, 
जो विधान सम्मत होती है। 
सत्ता औरो के काम को   
प्रभावित करती है।
सत्ता व्यक्ति को नही, पद को ही मिल पाती।
पद किसी और को मिलते ही,
सत्ता स्वयं हस्तांतरित हो जाती।
सत्ताधारी करता है अपने दायित्वों
का वहन।
वह देखता, उसके अधिनस्थ कोई भी नियमों का न करे उल्लंघन।
सत्ता से सम्ब॔धित है हर क्षेत्र।
चाहे वह परिवार हो, संस्था हो, देश हो या हो रणक्षेत्र।
सत्ता नीचे से उपर को जाता,
इसका होता आरोही आकार।
ज्यों ज्यों सत्ता उपर जाता, 
बढ़ता जाता सत्ताधारी का अधिकार।
सत्ताधारी अपने अधिकारों को
अच्छी तरह जानता।
कार्यक्रम को सफल बनाना है,  
यह  भी वह मानता।
सत्ताधारी को सकारात्मक
सोंच रखनी चाहिए। 
अपने से छोटे पद वाले से भी सलाह लेनी चाहिए। 
सत्ताधारी में प्रतिउत्पन्नमति
होनी चाहिए। 
सत्ताधारी को विपत्ति में धैर्य
नहीं खोना चाहिए। 
पर सत्ता पाकर कुछ मानव 
विवेक खो देते हैं। 
सही राह छोड़, गलत राह चुन लेते हैं। 
कुछ सत्ताधारी अपने पद का दुरूपयोग करते। 
सत्ता की आड़ में वे अपना
उल्लू सीधा करते। 
सत्ता का दुरूपयोग कर 
औरों से करते दुर्व्यवहार। 
अपनी झोली भरते हैं, 
करते औरों को लाचार। 
ऑफिस में बॉस अपने
अधिनस्थ कर्मचारी
को करता तंग। 
उन्हें परेशान ऐसे करता, देखने वाले रहते जाते दंग। 
कुछ नेता अपने पद का दुरूपयोग करते। 
औरों से ज्यादा अपना भला सोचते। 
सत्ता के दुरूपयोग का नकारात्मक प्रभाव है पड़ता। 
उत्पादन कम होता, माहौल है बिगड़ता। 
सत्ता का दुरूपयोग न हो, हमें कदम उठाना होगा। 
समाज में जागरण अभियान
चलाना होगा।

डॉ० उषा पाण्डेय 'शुभांगी'
स्वरचित

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