आजादी
बड़ी मुश्किल से पाई आजादी,
बहुत पापड़ बेले है।
कई यातनाएं भुगत चुके हम,
कष्ट अनेकों झेले है।
ओरों से गैरों अपनों से भी,
लगातार परेशान रहे।
अमानवीय अत्याचार हुए ,
अन्याय अपमान सहे।।
पशु से बदतर जीवन जीते,
बेमन झुकता शीश रहा।
उनका हुक्म था सर्वोपरि,
सामंती जगदीश रहा।।
तन मन का शोषण होता रहा,
धन उनके वशीभूत था।
ओरों के लिए देव तुल्य लेकिन,
हमरे लिए यमदूत था।।
गौरों से कई मिले हुए थे,
जो शासन करते थे।
लोगों का शोषण खूब किया,
उनको कर भरते थे।।
मिली आजादी खुश सभी है,
सबके लिए संविधान है।
सबने सम अधिकार पा लिए,
अब मानव मात्र समान है।।
हर कोई राष्ट्र गान गाता,
हर कोई पढ़ सकता है।
अपनी काबिलियत से कोई,
आगे चाहे बढ़ सकता है।।
कानून सबके लिए एक सा,
चाहे अमीर-गरीब हो।
छोटा-बड़ा नही कहलाता,
चाहे सत्ता के करीब हो।।
गुनाह कोई भी करता है,
होता गुनाहगार वही।
बच निकले गुंजाइश नही,
कानून का वो यार नही।।
जहाँ चाहे वहाँ रह सकते,
मनमर्जी से काम करे।
शादी करे पर्व मनाइए,
कुछ कर रोशन नाम करे।।
- डॉ.जबरा राम कंडारा
रानीवाड़ा।जिला-जालोर।राजस्थान।
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