*सारा सच प्रतियोगिता के लिए रचना*
**विषय:भारत*
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**ये मिट्टी हमारी**
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(छंदमुक्त काव्य रचना)
विविधताएं और संस्कृति से भरा हमारा ये भारत देश,
सारे जहां में सबसे सुन्दर और श्रेष्ठ कहलाता है।
भिन्न-भिन्न जाति-धर्म और भिन्न-भिन्न वेशभूषाएं,
फिर भी एकता,समता और भाईचारा निभाता है।
कभी ईद,कभी दशहरा और कभी दिवाली,
सभी एक-दूसरे से मिलकर जीवन में खुशियां भर देते है।
प्रेम से गले मिलकर मनाते हुए सभी त्योहार,
कदम से कदम मिलाकर सभी यहां पर चलते है।
मंदिर,मस्जिद,चर्च और गुरुद्वारा यहां के,
ये सभी अलग-अलग धर्मों के प्रार्थना स्थल है।
सभी की प्रार्थनाएं भी है यहां अलग-अलग मगर,
इसी प्रार्थनाओं से यहां इन्सानियत और मानवता का पाठ पढ़ाते है।
भारत की भूमि ये सबसे अलग है सारे जहां में,
विविधताओं से बनी ये हमारी एकता गूंजे सारे विश्व में।
भारतीय हमारी पहचान,तिरंगा हमारी आन-बान-शान,
गंगा,जमुना,सरस्वती का मिला है हमें वरदान।
भारत के हम लोग,आपस में हमारे प्रेम का रिश्ता,
ये मिट्टी हमारी इन्सानों से इन्सानों को जोड़ना सिखाती है।
प्रेम बांटकर सारे जहां में फैलाओ शांति और अमन,
यही मानवता भरी सीख हमारी सारे जहां में गूंज उठती है।
"जिओ और जीने दो"यही है हमारे वतन का नारा,
ये जिंदगी है,मिले कभी किसी को न यहां दोबारा।
इसीलिए जीने दो सभी को यहां अपने-अपने ख्वाब सजाने के लिए,
क्योंकि हर किसी के नशीब में यहां होता नहीं वो खुशियों का किनारा।
कौन-सी जीत का सेहरा बांधकर तुम इतरा रहे हो,
ये अनंत ब्रह्माण्ड है,युगों-युगों तक तुम्हारे समझ के बाहर है।
तुम इन्सान हो,इन्सान बनकर जी लो ये उधार की जिंदगी,
इसी ज्ञान का पाठ यही भारत सारे जहां को सिखलाता है।
प्रा.गायकवाड विलास.
मिलिंद महाविद्यालय लातूर.
महाराष्ट्र
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