Tuesday 14 March 2023

जल - डॉ बी.निर्मला



 








नमन सारा सच मंच,


                 जल, 

जल,वारि,नीर,सलिल,पानी,क्षीर,जीवन,
कितने सारे हैं मेरे नाम,सुंदर और पवित्र,
मानव शरीर भी है,मुझसे ही निर्मित,जीवित,
मुझ बिन प्राण हीन,वह हो जाए बेजान,मृत।

मेरा न कोई आकार है,न ही कोई रंग रूप,
जहां भी,जिधर जाऊं,ले लेता उसका ही रूप,
हिम,ओस,आंसू,पसीना और वर्षा आदि में,  
हर जगह रहता हूं इनमें,सदैव मौजूद मैं।

भर दूं सारे,झरने,सरोवर,सागर और नदी,
गंगा,यमुना,कृष्णा,गोदावरी हो या कावेरी,
मुझ बिन इन सबका नहीं है कोई अस्तित्व,
और इन सबका बढ़ता है मुझसे ही वर्चस्व।

इस जग में प्रकृति की,सबसे बड़ी देन मैं भी,
काम आऊं इंसान,पशुपक्षी, पेड़पौधों के भी,
सदियों से सभी,मेरा ही प्रयोग हैं करते आए,
जीवन की अन्तिम घड़ी में मुझे काम में लेते।

आकाश,पाताल,धरती कहां नहीं मैं मौजूद,
कहते हैं सब,मेरे लिए होगा भविष्य में युद्ध,
पेप्सी,कोका कोला आदि की जो रखते आस,
सब बेकार,मुझसे बुझती सदा उनकी प्यास।

आज सबको है मेरी,अत्यधिक आवश्यकता,
एक एक बूंद से मैं कितनों की प्यास बुझाता,
जितना हो सके,कर लो मेरा तुम सदुपयोग,
पर कभी न करो,कहीं भी तुम मेरा दुरुपयोग।

देवी देवताओं की पूजा पाठ में मुझे ही चढ़ाते,
इस संसार में सब,सबसे पवित्र मुझे ही मानते,
गर्व नहीं मुझे,सदा अपना कर्तव्य निभाऊं मैं,
जब तक है इस भू पर जीवन, काम आऊं मैं।

जीवन के पंचतत्वों में,मेरा नाम भी है शामिल,
इस जग में सबके लिए,मैं हूं सबसे अमूल्य,
अच्छे स्वास्थ्य के लिए स्वच्छ जल है जरूरी,
भविष्य में जीवन हेतु,जल संचय है जरूरी।

आओ,करें जल की महत्ता से सबको जागृत,
घर घर में,जल संग्रहण का हम पढ़ाएं पाठ,
जल की एक एक बूंद का है, जीवन में महत्व,
जल संचय,जल संरक्षण है,अति आवश्यक।

स्वरचित एवं सर्वाधिकार सुरक्षित,

डॉ बी.निर्मला,
मैसूर,कर्नाटक।

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