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बड़ा....
वह व्यक्ति जो दिखता है बड़ा, क्योंकि वह,
आलस्य छोड़ लक्ष्य को बढ़ा।
दृढ़ संकल्पित हो मंजिल को चढ़ा,
शायद इसलिए वह है आज बड़ा।
गर बड़ा होना है,तो
कर्म और पुरुषार्थ से जीवन की जमीन सिचों ,
किसी को छोटा मत करो,
अपने लकीर बड़ी खींचो।
लकीर बड़ी खींच तुम आगे
दिख पाओगे,
दूसरे को छोटा न करके भी तुम बड़े हो जाओगे ।
बड़े हो गए हो,
तो बड़प्पन को याद रखना।
अहंकार, घमंड में मत आना,
न हीं छोटों को भुलाना ।
सहयोग और सहायता कर
उन्हें भी लक्ष्य तक पहुंचाना।
क्योंकि तुम लक्ष्य पर खड़े हो?
इस वक्त तुम सबसे बड़े हो।
दिलीप कुमार शर्मा "दीप"
MP
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