राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य मंच हमारी वाणी की साप्ताहिक प्रतियोगिता हेतु
विषय ....पिता
नाम.. अनन्तराम चौबे अनन्त जबलपुर म प्र
कविता... पिता
माता पिता भगवान हमारे
माता पिता ही पालन हारे हैं ।
जीवन की हर खुशियां देते हैं
सच्चे शुभ चिंतक वही हमारे हैं ।
पिता की छत्रछाया में ही
सुख की नींद बच्चे सोते है ।
मां को भी सुख चैन मिलता है
कोई भी भय नही रहता है ।
पिता कहीं बाहर जाते हैं
घर में सबको चिंता रहती है ।
सुख चैन से दिन गुजरता है
पर रात में चिंता भी सताती है ।
घर में कोई संकट आ जाए
मां को भी डर लगता है ।
सारा सच पिता के घर में रहने से
चिंता से मुक्त जीवन रहता है ।
पिता की छत्रछाया में सबको
मुश्किल भी आसान होती है ।
सारा सच संकट चाहे जो घर में आए
पिता का सबको साहस रहता है ।
सारा सच छोटी या बड़ी बात हो
खर्च हो या कोई मुसीबत हो ।
पिता के साहस से सभी को
हिम्मत और बल मिलता है ।
मां डांटती यदि बच्चों को
शिकायत पिता से करते हैं ।
मां से प्यार सब बच्चे करते
पर मां की शिकायत करते हैं ।
बच्चे तो बच्चे ही होते हैं
छोटे बच्चों को प्यार चाहिए ।
माता पिता का लाड प्यार ही
सारा सच है हमेशा ही चाहिए।
बच्चों की जिद पूरी करने
पिता भी तो झुक जाते हैं ।
कपड़े हों या मन के खिलौने
पापा तो सब लाकर देते है ।
जन्म दिवस खुशियों से मनाते
पिता भी खुशियों में खुश होते ।
माता पिता भी खुशियां मनाते हैं
बच्चों के साथ में खुश होते हैं ।
बच्चों के भविष्य के कार्यों में
पिता का नाम ही जुड़ता है ।
पढ़ाई हो या फिर नौकरी हो
पिता का नाम लिखा जाता है ।
अनन्तराम चौबे अनन्त
जबलपुर म प्र
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