भगवान
शीत लहर की सुबहजब सब सो रहेतब अखबार बाटतासायकल से लड़काबंडल को रबर बांध करऊंची गैलरी में फैकतानिशाने बाज की तरहकिसी के दरवाजेरोशनदान से सरका देताजब दुनिया सो रही होती।कहीं जलते पुराने अखबारटायर के अलाव में सेक लेताअपने हाथ पांवउसे सेकने हेतु कोई बुलावा नहीं देताउसका भी सड़को पर हक है।कोई खुली दुकान पर चाय की खुश्बूउसे तंग करती।मजबूरी जेब में पैसे कंहाँपैडल की गर्मी का जनरेटर हैउसके पास और भगवान की आस किन्तुउसे फिक्र है दुनिया की खबरसोये हुए लोगों को सबसे पहले देने कीछोटे गांव से लेकर नगर के घरों मेंपहुंचाने कीकिसी दिन पेपर आने में देर क्या होतीसोया इंसान उठने परसारा शहर उठा लेता अपने सरअखबार पर इतना विश्वासजैसे पत्थर में प्राण प्रतिष्ठा के बादपत्थर में आ जाती जानऔर बन जाता भगवानखबरों की जीवंतताऔर अखबार में समाचार कीहोती रोज प्राण प्रतिष्ठाइसलिए तो अखबार औरअखबार इतनी कड़क ठंड मेंलगते प्रियएक दिन अख़बार में खबरअखबार बांटने वाले कोशीतलहर की अलसुबह मेंकिसी पुण्य आत्मा नेचाय का पूछाऔर उसने भगवान को दिया धन्यवाद।
संजय वर्मा"दृष्टि"मनावर जिला धार मप्र
No comments:
Post a Comment