प्यार-इज़हार - प्यार-इज़हारगोरक्ष जाधव
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दो भीगे- भीगे शब्द
हाँ,प्यार है तुम से.....
नैनों की बरसात में,
चाहत की रात में,बात ही बात में,
दिल का राज खोल गई ।
जो कहना ही नहीं था वह भी
उसकी आंखें सब कुछ कह गई।
दो भीगे-भीगे शब्द....हाँ,प्यार है तुम से.....
आंखें-आंखों से मिल गई,
पलकों की चिलमन खुल गई,
तकरार-इक़रार, इनकार-इजहार,
बहुत कुछ न चाहते हुए उसकी
आंखें बोल गई।
दो भीगे-भीगे शब्द....हाँ,प्यार है तुम से.....
भीगा-भीगा था समां,
भीगा-भीगा आसमां,
चारों ओर चाहत की
बुनी हुई हरी-भरी दास्तां।
धरती का गगन से,
जिया का अगन से,
दिल की लगन से,
हर बात उसकी आंखें कह गए।
दो भीगे-भीगे शब्द....हाँ,प्यार है तुम से.....
कितनी सारी बातें कितनी सारी यादें,
बेख़ुदी दिल की खुशी की बरखा कर गई।
मन ही मन में, अपनी ही धुन में,
हाँ ना की कश्मकश में
अधूरी मिलन की आरजू पूरी हो गई,
दो भीगे शब्द प्रीत गीत गा गई ।
अपना ही आसमां, अपना ही दो जहाँ,
प्यार की अनमोल निशानी दे गई,
दो भीगे शब्द प्यार का इज़हार कर गए।
दो भीगे-भीगे शब्द....हाँ,प्यार है तुम से.....हाँ हाँ प्यार है तुम्ही से....
गोरक्ष जाधव
मंगलवेढा, महाराष्ट्र
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