रास्ता नदी का पर्वत ने रोका
हमे भी दे दो एक मौका
सालो से खड़े हैं हम,
हमे है आप से मिलने का ग़म
ख़वाब नहीं है दिया
मेरा समुद्र है पिया
जब आती है समुद्र में ओट
तब मेरे दिल में लगती है चोट
जब आती है समुद्र में भरती
तब आंखे मेरी आँसू भरती
ये पर्वत छोड़ दो रास्ता मेरा
तुमसे नहीं है कोई वास्ता मेरा
जब समुद्र में आती है लहर
तब जाग जाती हू मे प्रहर
पर्वत तुम रोको ना मेरी गति
आप की होगी बड़ी दुर्गति.
डॉ गुलाब चंद पटेल
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