Monday, 6 October 2025

रुष्ट प्रकृति - स्वाति 'पूजा'

रुष्ट प्रकृति - स्वाति 'पूजा'

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क्यों रुष्ट है प्रकृति 
क्यों लिया रूप विकराल 
क्यों दरक रहे पहाड़ 
क्यों बिगड़ी नदियों की चाल ।

जहाँ देखो फट रहे बादल 
चल रहा प्रलय काल 
जहाँ खेलती थी ज़िन्दगी 
वहाँ पसरी मौत अकाल ।

गाँव के गाँव बह गए 
लोग हो गए बदहाल 
अपनों को तलाशते लोग 
कैसे देखें अंतकाल ।

क्यों वर्षा लाई ऐसी आपदा
क्यों भूलोक बना पाताल 
गांव-शहर हो गए जलमग्न 
जाने कब खत्म हो जाए जीवनकाल

स्वाति 'पूजा'✍🏻
ग्रेटर नोएडा

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