रुष्ट प्रकृति - स्वाति 'पूजा'
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क्यों रुष्ट है प्रकृति
क्यों लिया रूप विकराल
क्यों दरक रहे पहाड़
क्यों बिगड़ी नदियों की चाल ।
जहाँ देखो फट रहे बादल
चल रहा प्रलय काल
जहाँ खेलती थी ज़िन्दगी
वहाँ पसरी मौत अकाल ।
गाँव के गाँव बह गए
लोग हो गए बदहाल
अपनों को तलाशते लोग
कैसे देखें अंतकाल ।
क्यों वर्षा लाई ऐसी आपदा
क्यों भूलोक बना पाताल
गांव-शहर हो गए जलमग्न
जाने कब खत्म हो जाए जीवनकाल
स्वाति 'पूजा'

ग्रेटर नोएडा
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