Monday, 1 December 2025

बेटियां - उमेश नाग

बेटियां - उमेश नाग 

बेटियां होतीं हैं फूलों की तरह,
खुशबू तरह।
 महकाती घर, आंगन, गुलाब -चम्पा चमेली की तरह।
  ईश्वर की दी हुई अनमोल नियामतें 
  होती हैं बेटियां,
  बेटों की तुलना में कम नही होती है बेटियां।
  बेटा अगर है हीरा तो प्लेटिनम 
  होती हैं बेटियां,
  बेटा यदि करता है एक कुल को
   रोशन;
  बेटियां करतीं हैं दो कुल को-
   रोशन।
   बेटा,भाई या बाप हो, भगवान तो 
    नही हो,
    इंसान के चोले में क्यों हैवान -
     बनें हों।
     नारी में मां,बहन, बेटी रूप होतीं
      हैं बेटियां,
      कुटुम्ब, समाज और सृष्टि की
      ' मूल स्तम्भ होतीं हैं बेटियां।
       बेटियां नहीं होतीं तो क्या सृष्टि 
        सृजन होता?
       नारीयां नही होतीं तो क्या जग
       आबाद होता?
       ईश्वर की भेजीं ' इंसान रूप -
       तोहफा होतीं हैं बेटियां,
       कोई वस्तु नहीं कि इस कदर -
       मसलकर फैंक दी जाती हैं
        बेटियां।
       क्या नहीं जानते? मन से -
       कोमल होतीं हैं बेटियां,
       ओस की एक बूंद होती हैं -
        बेटियां।
        कुत्सित भाव से छूने से बिखर
        जातीं हैं बेटियां,
        भगवान के दरबार में किसी से 
         कम नहीं होतीं हैं बेटियां।
         दोनों ही ' उसकी आत्मा के 
         अंश हैं,
         वहां कोई भेदभाव नहीं होता
         दोनों ही ' उसकी ' आत्मा के 
         अंश हैं। 
          वहां कोई भेदभाव नहीं होता 
          दोनों को ही बराबर न्याय
           मिलता।
           राम की धरती पर मर्यादा,
           संयम भूल गए हैं लोग,
           देवों की धरती पर ' इंसान '
           से रावण बन गयें हैं लोग।
           बहुत हो गया बस,है प्रभु!
           इन्हें नेक राह दिखा दें।
            भ्रमित,कपट और छलावे 
            की अज्ञानता से,
            मानव को धर्म, सुकर्म का 
            पाठ याद दिला दें।
            राम कृष्ण की धरती को -
            कलंक से बचालें,
            घर घर में वेद, कुरान और
            बाईबल का ज्ञान पहुंचा दें।

                           श्रीमती उमेश नाग जयपुर राजस्थान

No comments:

Post a Comment

परिचय - सपना