Wednesday, 24 December 2025

पहचान - वंदना कुमारी

पहचान - वंदना कुमारी

कठिनाई से लड़ना है तुम्हें
पत्थर को भेदना हैं तुम्हें
ज़ंजीर तोड़ना हैं तुम्हें
हां अपना एक पहचान बनाना हैं तुम्हें।


कुछ मिलकर तुम्हें गिरायेंगे
कुछ मिलकर तुम्हें उठाएंगे 
लेना है अपना निर्णय तुम्हें
हां पहचान बनानी है तुम्हें

लेना है अपना सिद्धान्त तुम्हें
सागर को पार करना है तुम्हें
विश्वास अडिग रखना है तुम्हें
हां एक पहचान बनानी है तुम्हें

भारत मां का सेवा करना है तुम्हें
देश का ऋण चुकाना है तुम्हें
मां के खातिर कुर्बानी देनी है तुम्हें
हां एक पहचान बनाना हैं तुम्हें

हर नौका पार लगाना है तुम्हें
लहरों से नहीं घबराना हैं तुम्हें
आसमान में चिराग जलाना है तुम्हें
हां एक पहचान बनाना हैं तुम्हें

विघ्न बाधा से लड़ना है तुम्हें
हौसला को आगे बढ़ाना है तुम्हें
बाधा को भी चुनौती देना है तुम्हें
हां एक पहचान बनाना हैं तुम्हें

अपने कई जंग जीतने है तुम्हें
इतिहास को भी बदलना है तुम्हें
बंद किस्मत को भी जगाना है तुम्हें
हां एक पहचान बनाना हैं तुम्हें

कमजोरी को ताकत बनाना हैं तुम्हें
राह को फूल से सजाना हैं तुम्हें
विजय भारत का फहराना हैं तुम्हें
हां एक पहचान बनाना हैं तुम्हें

वंदना कुमारी
दरभंगा बिहार

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