पति - डॉ. रुपाली चौधरी महाराष्ट्र
यदि पत्नी घर के आंगन की शोभा हैं तो पति घर का परिपूर्ण चबूतरा हैं। पति है तो पत्नी के शृंगार का मूल्य है उसका हर श्रृंगार पति के अस्तित्व की पहचान है । पति संतोष का वह अविरल रूप है जो नारियल की भांति ऊपर से कठोर और अंदर से मीठा़ होता हैं। जिस प्रकार शब्द का अर्थ के साथ, धरती का आकाश के साथ, फुल का उसकी खुशबू के साथ तथा नदी का झरने के साथ एवं चांद का चांदनी के साथ अनोखा रिश्ता होता है । वही रिश्ता पति का पत्नी के साथ होता है। पति परिवार का आधारस्तंभ होता हैं। वह विश्वास प्रेम का अविरल स्त्रोत है। त्याग कर्तव्य के साथ आत्मीयता का संबंध रखने वाला स्थिरता का प्रतीक है। परिवार की हर जिम्मेदारियों को निभाने में वह समर्पित हो जाता हैं। परिवार की प्रति मेहनत इमानदारी और प्रेम से संपूर्ण परिवार को एकता की सूत्र मे बांधने वाला मजबूत धागा है । पति के अस्तित्व से ही पत्नी एवं बच्चों का जीवन सुगंधित बगियां की तरह खिल उठता है। पति वह बरगद का वृक्ष हैं जिसकी छाया मे संपूर्ण परिवार सुखदायी फलता एवं फुलता है । पति न मात्र प्रेम का परिचायक है अपितु वह समर्पण का पवित्र रिश्ता निभाने वाला है । वह हरी स्थितियों का सामना कर अपने परिवार की रक्षा करता है परिवार का सच्चा मार्गदर्शक बन अपने बच्चों का पालन करता है। पत्नी के हर सपनों को साकार करने हेतु दिन - रात प्रयास करता है। घर की शांति मात्र पति पर आधारित है। वह न केवल जीवन साथी हैं अपितु मन का सच्चा सहचर हैं । पत्नी के लिए पति केवल जीवनसाथी नहीं, बल्कि आत्मा का सखा होता है। उसका स्नेह, धैर्य और प्रेम जीवन में मधुरता घोल देते हैं। जब पति-पत्नी के बीच प्रेम, विश्वास और समझ का बंधन होता है, तब जीवन का हर संघर्ष सरल लगने लगता है।वास्तव में, पति वह दीपक है जो अपने परिवार के मार्ग को उज्ज्वल करता है, और उसका स्नेह ही परिवार को एक सूत्र में बाँधता है। ऐसा पति जीवन का सच्चा वरदान होता है।

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