पृष्ठभूमि - सपना
जो मंच पर जगमग करता उजाला,
उसके पीछे अँधियारी पृष्ठभूमि।
तालियों की गूँज, मुस्कानों का शोर,
सबके पीछे खड़ी मौन पृष्ठभूमि।
कदम-कदम पर ठोकर खाकर ही,
जीवन रचता अपनी पृष्ठभूमि।
आँसुओं की नमी, पसीने की गंध,
टूटे सपनों की कड़ी पृष्ठभूमि।
जो आज सफलता का गीत गाता,
कल उसकी थी सूनी पृष्ठभूमि।
अँधेरे कमरों,
बुझते दीयों में
लिखी गई उसकी पहली पृष्ठभूमि।
शहर की तेज़ रफ्तार गलियों में,
हर ख्वाब की है अपनी पृष्ठभूमि।
फिल्टर ओढ़े चेहरे के पीछे,
सिसकती रहती खरी पृष्ठभूमि।
इतिहास किताबों में छपते नाम,
पर समय बनाती है पृष्ठभूमि।
अनसुने शब्द, गुमनाम हाथ,
गढ़ते युग की असली पृष्ठभूमि।
किसान के हाथ की फटी लकीर,
मज़दूर की थकी हुई पृष्ठभूमि।
माँ की चुप्पी, पिता का त्याग,
घर की सबसे बड़ी पृष्ठभूमि।
काग़ज़ पर लिखी हर कविता की भी
एक अनकही सी पृष्ठभूमि।
हर शब्द से पहले जन्म लेती
संवेदना की गहरी पृष्ठभूमि।
मत परखो किसी को एक नज़र में,
हर चेहरे की होती पृष्ठभूमि।
इंसान को समझने की कुंजी है
उसकी संघर्षों भरी पृष्ठभूमि।
आज का पल, कल की विरासत,
समय बुनता अपनी पृष्ठभूमि।
जो इसे पढ़ना सीख गया,
वही समझ पाया जीवन की पृष्ठभूमि।
परिचय
नाम - सपना
नई दिल्ली

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