Sunday, 21 December 2025

शहीदे वतन - वीरो - विनीता बरनवाल

शहीदे वतन - वीरो - विनीता बरनवाल

ऐ शहीदे वतन तुम न ये सोचना, 
बाद तेरे तुझे भूल जाएंगे हम। 
तुम ना रहे पर अपने दिल में सदा, 
तेरे यादो के दीपक जताएंगे हम। 

दुश्मनों के छक्के छुड़ाता रहा, 
आबरू देश की जो बचाता रहा। 
करती हूँ नमन मैं उस भाई को, 
देश के लिए जान लुटाता रहा। 

रोकती अश्कों को वतन के लिए, 
देती अपना लाल सरहद के लिए। 
उफ न आय मगर कांपते होंठ है, 
है नमन उन सभी माओ के लिए। 

अपने ज़ज्बात को वो कह ना सकीं, 
बनी दुल्हन हाथों में मेहंदी थी रची। 
लाल रंग से लिपटा है आचल तेरा, 
 नमन उन सभी वीरांगनाओं के लिए।

विनीता बरनवाल 
 उत्तर प्रदेश

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