अदोहा जीवन - अलका जैन आनंदी
जीवन में सुख दुख मिले, रंग रक्त का लाल।
सबसे मिलजुल के रहो, अलका बनो मिशाल।।
*जीवन* गीत छंद १६,११
गीत छंद है मेरा जीवन, गीत गुणों की खान।
सुख -दुख तो आते ही रहते,जीवन में पा मान।।
अंधेरे से लगता था डर,पा विजय होशियार।
हसती है दुनिया हसने दो,नया नया है प्यार।।
जब मन करता तब मैं लिखती,ये *जीवन* सम्मान।
गीत छंद है मेरा जीवन,बसती इसमें जान।।..1
दिन तो दिन क्या रात न देखूं, क्या होता घर द्वार।
बेटी मात पिता पे लिखूं ,बेटा है संसार।
प्रेम प्यार है शान वतन तो,मेरा हिंदुस्तान।
गीत छंद...2
चले यह *जीवन* वृक्ष लगाव,मिले भोज परिवार।
खुशियां मात पिता से घर में,मत करना तकरार।।
कर्म निभा सच्चा जीवन है,जग दुनिया संतान।
गीत छंद...3
अलका जैन आनंदी दिल्ली स्वरचित

No comments:
Post a Comment