[ कविता।
भारत समग्र संसार में,
भारत एक उन्नत अध्याय है,
चेतना का सार है,
उद्गार और यहां प्यार है,
संजीवनी सा उपहार है,
प्रखर विचार,
उन्नति का एक अपूर्व ध्येय है,
सात्विक प्रमेय है।
यह भारत आर्यावर्त का,
भरतखण्ड का सुन्दर स्नेह है।
भारत अखण्ड द्वीप है,
ज्योति का अपूर्व रूप है,
प्रकृति की सुन्दर खुशबू यहां,
शुचिता को मिलती प्राथमिकता यहां,
सभ्यता का द्वार है,
उन्नत संस्कार है,
भारत विश्व में सर्वाधिक,
प्रचलित व्यवहार है।
समस्त जनमानस में,
सहृदयता का सौन्दर्य है,
आत्म चिंतन का,
दिखता यहां सर्वोच्च नवोदय है,
उत्कृष्ट अवतार है,
संयुक्त प्रयास का संस्कार है,
अद्भुत अनमोल और अनूठा,
दिखता यहां व्यवहार है।
सर्व धर्म समभाव है,
सबमें प्रेम भाव और विश्वास का,
अद्भुत सद्भाव है।
राष्ट्रीयता और राष्ट्रवाद का,
सबसे उच्च विचार है,
जनजन तक समां बांधने में,
दिखता नवीन उपचार है।
भारत है सम्पूर्ण,
विरासत है भरपूर,
नवीनतम कथाएं और किंवदंतियां,
कहानियों की भरमार है।
भरत का यहां सुन्दर अध्याय है,
सिंह के दांतों को गिनने का,
एक अविस्मरणीय इतिहास है,
वीर धीर वीरांगनाओं को,
यहां मिलता खूब सत्कार है।
समानता और संतुलन,
यहां का एक अपूर्व दर्शन है।
वैश्विक संकेतों से अद्भुत प्रेरणादाई,
जीवन का अनूठा अर्पण है।
धर्म क्षेत्र प्रदेश और भाषाई,
विभिन्नता में अपनत्व है।
सब रहते हैं मिलकर यहां,
घटती नहीं किसी का घनत्व है।
यह भारत है,
सदियों पुरानी यादों से सनी,
खूबसूरत और बेमिसाल रिवायत है।
अन्तर्मन में खुशहाली लाने का,
दिखता यहां पवित्र सियासत है।
आओ हम-सब मिलकर,
भारत माता की जय कारा करें।
सम्पूर्ण जीवन में मानवीय मूल्यों को,
सुरक्षित रखने के लिए,
कठोर अनुशासन और साधना करें।
डॉ ०अशोक, पटना,बिहार।
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