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पद की माया
अजब निराली पद की माया जिसकोकोई समझ ना पाया
कब, कहां पर क्या कर जाए
कब, क्या कमाल बतलाए ?
जिसको जैसा पद मिल जाए,
वैसा उसको मद आता है l
पद मिलने के बाद आदमी,
बदला -बदला सा पाता है l
पद की प्रभुता पाने पर मानव
अकड़ अकड़ कर चलता है l
छोटी-छोटी बातों को भी पकड़ पकड़ कर चलता है l
छोटा मोटा पद पाने पर
शान शौकत भी बढ़ जाती है l
झूठी शान में जीवन जीने की
आदत भी पड़ जाती है l
दूरी बना लेता है उनसे जो कभी साथ में चलते थे l
तुम को आगे बढ़ाने को
उनके अरमान मचलते थे l
पद पाकर अच्छा काम जो करता,
पद और भी बढ़ता जाता है l
पद के पथ पर चलने से,
मान भी बढ़ता जाता है l
दिलीप कुमार शर्मा देवास मध्य प्रदेश
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