Monday 16 October 2023

हादसा/ दुर्घटना - अनन्तराम चौबे अनन्त

राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य मंच हमारी वाणी की साप्ताहिक प्रतियोगिता हेतु























विषय... हादसा/ दुर्घटना

नाम.. अनन्तराम चौबे अनन्त जबलपुर म प्र
कविता...     

    हादसा / दुर्घटना 

हादसा, दुर्घटनाएं अक्सर
सुनने देखने को मिलती है ।
जीवन में खुशियां के साथ
मुसीबतें भी आती रहती हैं ।

सारा सच कुदरत का कहर 
कब कैसे कहां पर आ जाए।
तबाही ही तबाही मचाती है
मौत का मंजर सुनाई देता है ।

भूकंप तूफान सुनामी हो
आते ही तबाही मचाते हैं ।
तबाही ही तबाही मचाती है
जन जीवन तबाह कर देते है ।

ट्रेनों की हुई दुर्घटना भी
कुदरत का ही कहर है ।
दुर्घटना स्थल का दृश्य 
क्रंदन का कैसा मंजर है ।

सुनामी लहर कहीं आती हैं
शहर गांव उजाड़ देती हैं ।
इन्सान हों या जानवर हों
सभी को बेघर कर देती हैं ।

सुनामी लहर सुनामी है
जहां से भी गुजरती है ।
कोहराम मचाती जाती है ।
पेड़ पौधे भी उजाड़ देती है ।

सारा सच चारों तरफ हादसों 
का रूदन सुनाई देता है ।
लोगों में डर ही डर और
हाहाकार मचा देता है ।

प्रकृति की ऐसी विनाशकारी
लीला को कौन रोक पाता है ।
प्रकृति को कब क्या करना है
भविष्य को कौन समझ पाता है ।

सुनामी आती है चली जाती है
रूदन, क्रंदन को छोड़ जाती है ।
सुनामी लहर जब भी आती है
लाशों के ढेर लगाती जाती है ।

किसी की मां किसी का बेटा
सारा सच लाशों में बदल जाते हैं ।
कई बड़े बूढ़े मासूम बच्चे भी
मलवे में दबे जिन्दा बच जाते हैं ।

सुनामी लहर कब आ जाए
किस पर कैसे कहर बरसाए ।
कोई कुछ समझ नहीं पाता है 
रोता बिलखता  छोड़ जाता है ।

प्राकृति कब क्या खेल खिलाती
सारा सच कोई समझ न पाते है ।
कुछ स्वार्थी लोग हो हल्ला करके
अपना उल्लू भी सीधा करते हैं ।

सुनामी की तबाही के मंजर को
देखकर मन विचलित होता है ।
हाहाकार शोकाकुल के मंजर में
चारों तरफ रूदन सुनाई देता है ।

    अनन्तराम चौबे अनन्त 
     जबलपुर म प्र 

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