होली - सागर सिंह भूरिया
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होली हमारे भारत का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो बड़े हर्षोल्लास के साथ विभिन्न रंगों के साथ मनाया जाता है।
ये हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को बसंत ऋतु में मनाया जाने वाला विशेष पर्व है।
सारा सच है कि पहले ये त्यौहार ज्यादातर भारत और नेपाल में ही मनाया जाता था लेकिन अब ये पर्व पूरे विश्व में मनाया जाने लगा है।
पौराणिक कथा के अनुसार प्रह्लाद श्री विष्णु भगवान के परम भक्त थे। पिता हिरण्यकश्यप उसकी विष्णु भक्ति से बहुत नाराज़ थे। उसने उसे मारने के लिए कई यत्न कीये लेकिन असफल रहा। आखिर अपनी छोटी बहन होलिका की मदद से प्रहलाद को आग में जलाने का अन्तिम प्रयास किया लेकिन प्रल्हाद का बाल बांका न हुआ तथा होलिका जिसे अग्नि में न जलने का वरदान प्राप्त था फिर भी वह जल कर राख हो गई थी।
इस खुशी में लोग होली से एक दिन पूर्व होलिका दहन करते हैं तथा अच्छाई की बूराई पर जीत के रूप में होली का जश्न मनाते हैं। लोग अपने-अपने घरों में विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट पकवान तैयार करते हैं तथा एक दूसरे का मुंह मीठा करते हैं।
उसके दुसरे दिन लोग अपने सारे पुराने गिले-शिकवे भुलाकर बड़े प्यार से गले मिलकर एक दूसरे को रंग लगा कर होली की बधाई देते हैं। होली आपसी भाईचारे का प्रतीक भी है।
......सागर सिंह भूरिया
बैजनाथ, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश।
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