योगा
यह एक पवित्र संस्कार है,
सुन्दर व परिष्कृत सांस्कृतिक त्योहार है।
स्वस्थ रहने वाले लोगों का,
संहिता और सुश्रुत आभार है।
उत्तम स्वास्थ्य और परिवार कल्याण की,
सबसे खूबसूरत उपहार है।
हरेक शख्स के लिए,
यही आत्मिक आभार है।
सारा सच की बेजोड़ धार में,
यह प्रस्फुटित होती है।
हमें आगे बढ़ने में,
इसकी अहमियत सुकून देने वाली ताकत बनकर,
आत्मविश्वास बढा देती है।
योगा और उत्साह में,
सामंजस्य दिखनी चाहिए यहां।
सही मुकाम पर पहुंचने में,
इसकी जरूरत पड़ती है यहां।
सारा सच की बेजोड़ धार में,
सही मुकाम पर पहुंचने की कोशिश की जाती है।
योगा और उत्साह में,
सही वजह की ख़ोज की जाती है।
साहित्य और संस्कृति को,
योगा की जरूरत पड़ती है।
सहमी हुई दुनिया में खलबली मचा देने में,
इसकी अहमियत बढ़ती है।
सारा सच है तो ज़िन्दगी में,
आगे बढ़ने की ताकत बढ़ती है।
योगा और उत्साह से भरपूर होने पर,
सबमें उत्साह से भरपूर होने,
सही मुकाम पर पहुंचने में,
अक्सर ताकत झलकती है।
डॉ ०अशोक,पटना,बिहार
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