हिन्दी दिवस पर विशेष - डॉ प्रमोद कुमार कुश 'तन्हा'
जिस भाषा में दूसरी भाषाओं के प्रचलित शब्दों को समाहित करने की क्षमता और स्वीकार्यता होती है, वह भाषा कभी भी दुर्बल नहीं हो सकती। हिन्दी भाषा ने भी बहुत खुलेपन से दूसरी भाषाओं के आम प्रचलित शब्दों को अपनाया है।
उदाहरण के लिए अंग्रेजी के कुछ प्रचलित शब्द जिन्हें हिन्दी भाषा ने सहजता से अपनाया है:
हॉस्पिटल, ट्रैक्टर, स्टेशन, स्कूल, सिमकार्ड, फोन, लिफ्ट, फ़िल्म, डॉक्टर, न्यूज़, फ़ाइल, क्रिकेट, रेल, एयरपोर्ट, कोचिंग, गेम आदि आदि।
उर्दू के कुछ प्रचलित शब्द जिन्हें हिन्दी भाषा से अलग कर पाना मुश्किल है:
मजबूर, मज़बूत, कमज़ोर, फ़ैसला, सुब्ह, फ़क़ीर, दावत, मुहब्बत, नफ़रत, दुश्मन, ज़मीन, शह्र, फ़िक्र, ज़िन्दगी, मरीज़ वगैरह वगैरह।
अंग्रेज़ी भाषा ने भी हिन्दी और उर्दू के बहुत से शब्दों को अपनाया है। उदाहरण देखें:
घेराव, लाठीचार्ज, परांठा, भेलपुरी, रायता, बाज़ार, जंगल, नमस्ते, चाय, गुरू, जुगाड़ आदि आदि।
जो भाषा समय के साथ नहीं चल पाती और जिसमें दूसरी भाषाओं के प्रचलित शब्दों को स्वीकार करने की क्षमता अथवा खुलापन नहीं है, वह भाषा धीरे धीरे अपने महत्व और अस्तित्व से संघर्ष करती रहती है।
हिन्दी भाषा में क्षमता भी है और स्वीकार्यता भी है।
जय हिन्द, जय हिन्दी
© डॉ प्रमोद कुमार कुश 'तन्हा'
मुंबई
कवि, ग़ज़लकार, फ़िल्म गीतकार एवं लेखक
*पूर्व निदेशक/ वैज्ञानिक एवं हिन्दी नोडल अधिकारी*
(भारतीय मानक ब्यूरो, केन्द्र सरकार)
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