Monday, 29 September 2025

कानून - डॉ ० अशोक

कानून - डॉ ० अशोक

भोर की किरणें
अँधेरे को चीरतीं
सत्य को लातीं

न्याय की ध्वनि
अंतरतम को जगाए
मन को शांति दे

सारा सच बोले
साप्ताहिक अखबार सा
जन का प्रतिबिंब

अदालत की चौखट
विश्वास और उम्मीद
सबको समान दे

हक़ की पुकार
कानून में बसती है
जन का सहारा

सारा सच लिखे
अखबार की पन्नों पर
सत्य की राह दिखाए

किताबों के पन्ने
संविधान की धड़कन
आस्था जगाएँ

नदी की लहर
सत्य और न्याय बहाए
जन विश्वास बढ़ाए

वृक्षों की छाँव
कानून का संरक्षण करे
कमज़ोर को थामे

कलम की ताक़त
सच की राह दिखाती
मन में उजाला

लोकतंत्र का मर्म
कानून ही समझाए
सबको बराबर करे

फूलों की खुशबू
न्याय के पथ पर बहती
सत्यम शिवं सुन्दरम्

डॉ ० अशोक,
पटना, बिहार।

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