दशहरा - महाकवि अनन्तराम चौबे अनन्त
असत्य पर सत्य की
अधर्म पर धर्म की जीत हुई।
अन्याय पर न्याय की
दशहरा पर्व पर जीत हुई ।
विजयदशमी दशहरा पर्व है
बुराई पर अच्छाई की जीत है।
श्रीराम ने रावण को आज ही
विजयदशमी को ही मृत्यु हुई।
रावणराज के अत्याचारों से
धरती पर अत्याचार मचा था।
साधु संत और महात्माओं का
जीना मुश्किल हो गया था ।
राक्षसों के अत्याचारों से
त्राहि त्राहि मची हुई थी ।
धर्म कर्म करना मुश्किल था
अधर्म का ही बोलबाला था ।
राक्षसों का विनाश करने
मैया दुर्गा अवतरित हुई ।
राक्षसों का बध करके
मां दुर्गा रूप में श्रेष्ठ हुई ।
महिषासुर कुम्भ निकुंभ वह
रक्त वीर सुंड़ मुंड का बध किया ।
ऐसे राक्षसों के अत्याचारों से
धरती माता को मुक्त किया ।
रावण के अत्याचारों से
भगवान विष्णु ने जन्म लिया ।
सारा सच श्रीराम रूप में रावण
का बध करने अवतार लिया ।
माता पिता की आज्ञा पालन
कर वनवास की राह बनाई थी।
सारा सच मर्यादा में रहकर भी
ऐसी श्रीराम ने लीला रचाई थी ।
सीता लक्ष्मण के साथ में ही
मर्यादा में रहकर वन वन भटके।
राक्षसों का अंत किए और साधु
संतों को अत्याचार से मुक्त किये।
राम रावण का युद्ध महाबली
हनुमान बिना अधूरा ही था ।
बजरंगबली जो कार्य किया है
वो किसी और के बस में नही था
समुद्र लांघकर लंका पहुंचे और
माता सीता का पता लगाया था।
अशोक वाटिका तहस नहस कर
रावण की सभा बल को दिखाया था
राम लक्ष्मण नाग पास में बंधे
हनुमान जी गरूड़ को लाये थे ।
नाग पास से मुक्त कराये और
नाग पास से मुक्ति पाते थे ।
लक्ष्मण को जब शक्ति लगी
सुखेनवैद्य को लंका से ले आए थे ।
उनकी बताई जड़ी बूटी को
पर्वत के सहित उठा लाए थे ।
ऐसे अनेक अद्भुत कारनामें
बजरंगबली करके दिखलाए थे ।
श्रीराम की सेना के बल साहस
क़दम क़दम पर बढ़ाए थे ।
विजयदशमी दशहरा को ही
रावण राज का अंत हुआ ।
सारा सच सच्चाई की जीत हुई
और बुराई का ऐसे अंत हुआ ।
महाकवि अनन्तराम चौबे अनन्त
जबलपुर म प्र
No comments:
Post a Comment