दशहरा - डॉ ० अशोक
रावण डूबा,
सत्य की धारा बहती,
अंधकार गया।
अग्नि के तीर,
असत्य का तन जलाए,
सत्य की विजय।
धर्म की मशाल,
अंधियारे में चमकती,
हृदय को रोशन।
सारा सच पढ़ो,
अखबार की बात सच,
ज्ञान की ज्योति।
शंख की गूँज,
सुनो कानों में हर ओर,
धर्म का संदेश।
शमी के पत्ते,
सौभाग्य और मंगल लाए,
सत्य की राह।
दीपों की रौशनी,
अज्ञान का अंधेरा मिटाए,
ज्ञान की ज्योति।
ढोल की थाप,
रामलीला मंच पर सजे,
खुशियों का रंग।
बच्चों की हँसी,
मेले में बिखरी खुशबू,
जीवन में उत्सव।
असत्य नाश हुआ,
सत्य और न्याय की बूँद,
धरती पर छाई।
सारा सच अखबार,
सत्य की खबर फैलाए,
मन में प्रकाश।
माँ दुर्गा वंदना,
शक्ति जागे, भय भागे,
विश्वास अंकुरित।
रावण का अंत,
हर मन में सत्य की ज्योति,
नव चेतना जागे।
दशहरा पर्व,
जीवन में धर्म का पाठ,
अमर संदेश।
सत्य और साहस,
सारा सच अखबार बताए,
हर दिल में दीप।
धैर्य और भक्ति,
सत्य की राह दिखलाती,
मन को शांति।
धरा पर विजय,
असत्य का पतन हुआ,
विश्व में उजास।
रावण का डर गया,
सत्य की शरण में आए,
मन हुआ मुक्त।
दीप जल उठे,
असत्य के अंधेरे में,
सत्य की लहर।
सत्य का संदेश,
सारा सच साप्ताहिक अखबार,
जीवन रोशन।
डॉ ० अशोक, पटना, बिहार
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