माँ की आराधना - श्रीमती मालती गेहलोद
माँ जगदम्बिके तुम्ही सम्पूर्ण सृष्टि की अधिद्राष्ट्री हो।
माँ शक्ति स्वरूपा सकलशब्दमय आकार तुम्ही हो।
ब्रह्मांड के दृश्य- अदृश्य जगत तुम्ही में व्याप्त करती हो।
है कमलासना महिषासुरमर्दनी भगवती महालक्ष्मी तुम्ही हो।
सम्पूर्ण विश्व को अभय वरमुद्रा, सिद्धि देने वाली तुम्ही हो।
त्रिलोक की आधार भूता महागौरी तुम्ही हो।
शुम्भ- निशुम्भ, ध्रुमलोचन जैसे दानवों का नाश करने वाली हो।
सर्वेज्ञेश्वर भैरव के अंग में निवास करने वाली पद्मावती तुम्ही हो।
मातङ्गी चण्ड-मुण्ड ,रक्तबीज का विनाश करने वाली तुम्ही हो।
माँ अणिमा , अर्धनारीश्वरी सर्वसिद्धि प्रदायनी भवानी हो ।
मस्तक पर अर्धचन्द्र धारण करने वाली शिवशक्तिस्वरूपा हो
माँ भुवनेश्वरी शरणागत के दुःख हरने वाली त्रिनेत्रा दुर्गा तुम्ही हो।
माँ हर युग मे धर्मद्रोही महादैत्यो संहार करने वाली तुम्ही हो ।
मै अज्ञानी तुम्हारी आराधना किस प्रकार करू, माँ तुम्ही सर्वज्ञा हो।
सर्वेश्वरी इस कलयुग के दानवों का तुम नाश कर सभी प्राणियों की रक्षा कर सम्पूर्ण सृष्टि को भयमुक्त करो ।


लेखक- श्रीमती मालती गेहलोद
मंदसौर (म .प्र.)
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