Thursday, 2 October 2025

विजयादशमी - जिज्ञासा ढींगरा

 
विजयादशमी - जिज्ञासा ढींगरा

शीर्षक- अच्छाई की जीत

देखो-देखो दशहरा है आया,
रावण ने सर पे अपने है ताज सजाया।

अभिमान था जो रावण को अपने बल का,
पल भर में श्री राम जी ने टूट गिराया।

हा-हा कार रावण ने मचा रखा था,
अपने दशानन से सबको डरा रखा था।

पर भूल हो गई रावण से भारी,
जो समझ न पाया वो श्री राम की गाथा सारी।

समझा श्री राम को एक आम इंसान,
इसलिए हो न पाया रावण का उत्थान।

बुराई को ही रावण ने जीवन में संजोया,
तभी श्री राम जी ने उसको परलोक पहुंचाया।

देता है सीख ये त्योहार,
बुराई की सदा ही होती है हार।

अगर जीवन में सुख-समृद्धि है पाना,
तो हमेशा अच्छाई को ही गले लगाना।

जिज्ञासा ढींगरा
खुर्जा, बुलंदशहर
उत्तर प्रदेश

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