जय हो चुनाव - अपर्णा गर्ग 'शिव'
राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य प्रतियोगिता मंच
“हमारी वाणी”
मेरी कलम मेरी पहचान 

“जय हो चुनाव”
1)आए हैं नेता जी लेकर फिर वादों की बरसात
चुनाव हैं सिर पर, करते बस कुर्सी की बात।
2)पांच बरस बाद, चुनाव की रैली में ही नेता जी नजर आते
नोटों की थाली में,घर घर जाकर खिचड़ी खाते।
3) वोट मांगते, ओढ़ विनम्रता की नकली मुस्कान
जैसे जन्म लिया धरती पर, करने सिर्फ जन कल्याण।
4) कोई मांगता वोट धर्म पर,कोई करता नौकरी का वादा
पक्के घर, बिजली पानी का, हर कोई देता हवाला।
5)मुफ्त की रेवड़ी बांटकर,पक्के कर लिए वोट के दाम
हैं पक्के व्यापारी,वसूल लेंगे,आम के आम गुठलियों के दाम।
6) कभी समोसा, कभी इमरती, छप्पन भोगों से बढ़ती इनकी शान
स्वेटर,कम्बल के संग, कर दे जमीर का भी दान।
7) गिरगिट जैसे रंग बदलते, करते हर पल वादों की बरसात
असल जिंदगी में यारों इनकी, बस रहे काम का ही अकाल।
8) नेता सेर तो अब, मतदाता भी बन गए सवा सेर
मतदान का करके बहाना, पार्टी पिकनिक पर जाए शाम सवेर।
9) किसकी कुर्सी,कैसा चुनाव,कौन करेगा राज
नहीं किसी को अब चिंता हैं, सजेगा किसके सिर पर ताज।
10) देख लिए नेताजी के रंग, वोट नहीं हैं ये कश्मीर के सेब
गाल गुलाबी करके मतदाता बोले, भर ली हमने भी अपनी जेब।
अपर्णा गर्ग 'शिव'
ग्रेटर नोएडा वेस्ट

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