चुनाव - महाकवि अनन्तराम चौबे अनन्त
राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य मंच हमारी वाणी
साप्ताहिक प्रतियोगिता हेतु
विषय.... चुनाव
दिनांक... 11/11/2025
नाम.. महाकवि डा अनन्तराम चौबे अनन्त जबलपुर मध्यप्रदेश
कविता ...
चुनाव
हमारे इतने बड़े देश में देखो
अक्सर चुनाव होते रहते हैं ।
आचार संहिता लगने से ही
जनता के काम रूक जाते है ।
सरकारी आफिसों के अफसर
बाबूओं को बहाना मिल जाता है ।
काम भले नही करना चाहते हैं
आचार संहिता का बहाना होता है ।
चुनाव लोकतंत्र की प्रक्रिया है
नेता जनता के प्रति निधि होते हैं।
चुनाव में जीतकर,पंच सरपंच,
पार्षद विधायक सांसद बनते हैं।
लोकतंत्र के नाम से सबको
बोट डालने की स्वतंत्रता होती है
जो नाम की ही बस रहती है
सच जनता की मजबूरी रहती है।
चुनाव लड़ने में नेता का
कुछ माप दंड जरूरी है ।
शिक्षा, साफ सुधरी छवि
नेता की होना जरूरी है ।
सांसद या विधायक हो
जनता ही इनको चुनती है ।
चुनाव जीतने के बाद में
फिर मनमानी इनकी होती है ।
राजनैतिक पार्टियां हमेशा
अपना उल्लू सीधा करती हैं ।
सत्ता की कुर्सी पाने चुनाव में
हर हथकंडे इसमें अपनाती है ।
देश में चुनाव में सभी पार्टियां
सत्ता की कुर्सी पाने लड़ती हैं ।
सारा सच है पूरा जोर लगाकर
चुनाव प्रचार पर जोर देती हैं ।
नेता चुनाव में भले लड़ते हैं
हार जीत भी होती रहती है ।
छींटा कसी आपस में करते
नेताओं की मजबूरी होती है ।
सत्ता में जो भी पार्टी आती है
अपने हिसाब से कानून बनाते हैं ।
सारा सच है नेता बनने में इनको
शिक्षा के मापदंड क्यों नहीं होते हैं ।
अनपढ़ भी सांसद, विधायक हैं
मंत्री में शिक्षा का मापदंड नही है ।
शिक्षा से कोई अवरोध न आये
ऐसा कानून भी बनाते ही नही हैं ।
किसी प्रदेश का चुनाव हो देश में
राजनीति सब आपस में करते हैं ।
हाथ जोड़ कर बोट मांगते हैं
जाति धर्म की राजनीति करते हैं।
सांसद विधायक मंत्री बनने में
बी ए की शिक्षा होना जरूरी है ।
सारे सच की बात कहूं चुनाव में
उच्च शिक्षा का मापदंड जरूरी है ।
खानदानी राजनीति चलती है
पिता के बाद पुत्र नेता बनते है ।
कोई कोई तो पति-पत्नी पुत्र बहू
पूरा परिवार चुनाव में खड़े होते हैं।
महाकवि अनन्तराम चौबे अनन्त
जबलपुर म प्र
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