Wednesday, 26 November 2025

सामाजिक माध्यम - मंजू कुशवाहा "अरुणिमा "

सामाजिक माध्यम - मंजू कुशवाहा "अरुणिमा " 

सारा सच अंतरराष्ट्रीय हिंदी साहित्य प्रतियोगिता 
'हमारी वाणी '
विषय-सामाजिक माध्यम 

ख्वाहिश थी की कलम हाथ हो,और किताबों से यारी l
ख्वाहिश भी दम तोड़ रही थी,छूट रही सखियाँ प्यारी ll

छूट रहा बाबुल का अँगना ..छूट रही हँसी ठिठोली l
यादों की संदूक पुरानी,चला रही हिय पर गोली  l

दौर पुराना संसाधन कम ,फिर भी हँसकर मिलते थे l
पाकर चिट्ठी बहुत दिनों पर,अधर कुसुम बन खिलते थे ll

शैने शैने  वक़्त का पहिया,नई सदी की ओर  बढ़ा l
तकनीकी का हाथ थाम कर,सृजन का पर्वत देख चढ़ा ll

यू ट्यूब,ऑर्कुट  फेसबुक ,#सामाजिक माध्यम कहलाये l
बच्चे बूढ़े और युवाओं ,का दिल देखो य़ह बहलाए ll
 
नई पुरानी सभी किताबें, गूगल पे हैं भरी पड़ी l
मिली हैं सखियाँ वही पुरानी ,बातों की फिर लगी झड़ी l

#सामाजिक माध्यम के बल. पर ,दूर दूर की खबरें पाते l
दिखा हुनर सब इसपर कितना ,आजीविका भी कमाते ll

कभी बना वरदान यही तो ,श्रापित भी  ये कहलाया l
#समाजिक माध्यम ने अपना,वीभत्स रूप दिखलाया l

अश्लीलता  लील रही है,देखो भावी पीढ़ी को l
अंकुश नितांत जरूरी है,घुन लगती इस सीढ़ी को ll


मिलना जुलना सीमित अब तो ,डिजिटल दुनिया कहते हैं l
उपकरणों में खोए  बच्चे ..भाव विहीन अब रहते हैं ll

मंजू कुशवाहा "अरुणिमा"
इंदिरापुरम गाज़ियाबाद 

स्वरचित एवं मौलिक 

मौलिकता प्रमाणपत्र-

मैं मंजू कुशवाहा "अरुणिमा " यह ज्ञापित करती हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मेरे द्वारा लिखी गयी है l यह किसी भी अन्य स्रोत से नहीं ली गयी l यह पूर्णतः स्व रचित , मौलिक एवं अप्रकाशित  रचना  है l इसका सर्वाधिकार पूर्णतः मेरे पास सुरक्षित है l

धन्यवाद 🙏 


नाम- मंजू कुशवाहा "अरुणिमा "
इंदिरापुरम,गाजियाबाद उत्तरप्रदेश 

No comments:

Post a Comment