चुनाव/राजनीति
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गाँव - गाँव से शहर-शहर तक,
नगर-नगर से महानगर तक।
पुनः चुनावी जंग छिड़ा है,
प्रजातंत्र इस बार अड़ा है,
अब होगा प्रतिवाद!
झूठा है संवाद! तुम्हारा!
झूठा है संवाद!
झूठ पर सच का जिल्द चढ़ा कर,
मंचों पर गाया जाएगा,
दो कामों को आठ बताकर,
ताली बजवाया जाएगा
जातिवाद और क्षेत्रवाद का,
वही पुराना मुद्दा होगा।
आजानो पर रोक लगेगी,
कावड़ पर फिर दंगा होगा।
जनता सारी चौकन्नी है
अब होगा प्रतिवाद!
झूठा है संवाद !तुम्हारा !
झूठा है संवाद!
शय और मात इन्हीं का होगा,
चौसर बस एक सर्कस होगा।
सारे तीर इन्हीं के होंगे,
इनका ही हर तरकश होगा।
अब तक घाव हरे ही हैं जो,
उनको फिर नोचा जाएगा।
पुनः प्रलोभन की भट्टी में,
जनता को झोंका जाएगा।
जरा ठहर! दिग्भ्रमित नहीं है
अब होगा प्रतिवाद!
झूठा है संवाद! तुम्हारा!
झूठा है संवाद!
5 वर्ष से छिपे हुए रणछोरों की
पंक्ति आएगी।
बरसाती मेंढक के जैसे
इनमें फिर शक्ति आएगी।
जितनी भी है अदाकारियां सारा
ये दिखलाएंगे।
गिरगिट जैसे रंग बदलकर,फिर से ये भरमाएंगे।
छल प्रपंच का काम नहीं है,अब होगा प्रतिवाद।
झूठा है संवाद! तुम्हारा! झूठा है संवाद!
डॉ अनीता त्रिपाठी ओम
शिक्षाविद् लेखिका कवयित्री समाजसेविका, मोटिवेशनल स्पीकर।
उत्तर प्रदेश

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