Friday, 14 November 2025

झूठ सबसे बड़ा नुकसान का कारण बनता - डॉ बी आर नलवाया

 


झूठ सबसे बड़ा नुकसान का कारण बनता 

  सत्य और असत्य (झूठ) दोनों को स्वीकार करें, क्योंकि फूलों को खिलने के लिए सूरज और बारिश दोनों की आवश्यकता होती है।
  आधुनिक युग में लोग गलत-झूठ को सही साबित करने में जरा भी वक्त जायज नहीं करते। लेकिन सही को सही साबित करने में जिंदगी गुजर जाती है।और जिस दिन सही साबित होता है, तब कि उस इंसान की राम नाम सत्य हो जाता है। माना कि झूठ ज्यादा टिकता नही, लेकिन सच साबित  होने तक इंसान टिकता नहीं।

एक ऐसा झूठ को छिपाने के लिए जिससे कोई बडा मतलब सिद्ब नहीं हो रहा. तो सौ झूठ बोलने से क्या फायदा ? सत्य तो एक न एक दिन प्रकट हो ही जाता है। आप आपके परिवार वाले या ज्यादातर बच्चे ही भावावेश में यह उगल सकते है फिर सोचिए जरा, क्या इज्जत रह जायेगी, आपको शायद भविष्य में आपकी बात का कोई सही होने पर भी विश्वास न में करे तो कोई बड़ी बात नहीं।

यहाँ दूसरों पर अपने प्रभुत्व  शान का प्रभाव जमाने, अपनी कमजोरी दबाने, अपने आपको अत्यधिक 'समझदार व जानकार बताने, इधर-उधर से' माँग कर रईसी दिखाना व इसी तरह की अन्य तरह की शेखिया बघारने वाले भाई- बहन शायद यह भूल जाते हैं, कि इनका परिणाम क्या होगा ? मैनेजमेंट फंडा के गुरु लेखक एन. रघुरामन के अनुसार---
"मम्मी झूठ बोल रही है, मैं 3 साल का हो चुका हूं , हमने 'अभी-अभी तीन वाली मोमबतियां काटी है।'" बच्चे ने बड़ी मासूमियता से यह कहा, जब उसकी मां ने एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) के एक कर्मचारी से कहा, 'दो साल।' एएआई ने इस कर्मचारी को यह सुनिश्चित करने के लिए तैनात किया है, कि दो साल से ऊपर के बच्चे उदयपुर एयरपोर्ट के फ्लोर के प्रस्थान क्षेत्र में निधारित प्ले जोन में खेलें। उसने बच्चे को बाहर जाने को कह दिया, क्योंकि बच्चे ने खुद कह दिया था, कि उसकी उम्र तीन साल है। पिता सामने की कॉफी शॉप से दौड़ते हुए आए और पूछा क्या हुआ ? मां ने कहा, 'हमारे बच्चे को ईमानदारी की सजा मिली। इस व्यक्ति को कैसे समझाएं कि तीसरे जन्मदिन का मतलब है, कि बच्चा अभी सिर्फ दो साल का है।' पिता कर्मचारी के पास गए और बहस कहता रहा, मैंने तो कई झूठ नहीं बोला, फिर उन अंकल ने क्यों कहा कि चले जाओ? मैं दादाजी से  कहूँगा उस कौवे को भेज दें जो झूठ बोलने वालों को काटता है।
दो साल से कम उम्र के बच्चों की कमी के कारण एयरपोर्ट का गेम जॉन ज्यादातर समय खाली रहता था और एएआई कर्मचारी दो साल से बड़े सभी बच्चों को उस जोन से खदेड़ने में व्यस्त रहता था। कुछ parents संघर्ष करके अपने बच्चे को वहां प्रवेश दिलाने में जरूर सफल रहते। दो-तीन दिन पूर्व उदयपुर एयरपोर्ट ने आयु सीमा तीन साल से घटाकर दो साल कर दी थी, क्योंकि ज्यादातर अभिभावक बच्चों की उम्र के बारे में झूठ बोलते हैं और बच्चों को जोन में प्रवेश दिला देते हैं। कर्मचारी ने स्वीकारा कि बच्चे खुद ही पैरेंट्स का भंडाफोड़ कर देते हैं ,और हम उन्हें दूर जाने के लिए कहते हैं, क्योंकि बड़े बच्चे कभी-कभी अनजाने में दो साल से कम उम्र के बच्चों के साथ खेलकर उन्हें चोट पहुंचा देते हैं। दिलचस्प यह है कि गेम जोन में लगे एक बोर्ड पर अभिभावकों को अपने बच्चों के साथ रहकर उनका ख्याल रखने की सलाह दी गई है। ऐसे में बड़े बच्चे छोटे बच्चों को कैसे चोट पहुंचा सकते हैं? एक और दिलचस्प बात यह है कि तीनों शिफ्टों में एक पूर्णकालिक कर्मचारी जोन के पास ही रहता है ताकि दो साल से बड़े बच्चों को वहां घुसने से रोक सके।

हालांकि, मुद्दा यह नहीं है कि बच्चे इस जोन में प्रवेश कर रहे हैं। बड़ा मुद्दा यह है कि एक तरफ जब माता-पिता अपने बच्चों को झूठ न बोलने की सलाह देते हैं और दूसरी तरफ खुद सार्वजनिक रूप से अपने बच्चों की उम्र के बारे में झूठ बोलते हैं, तो वे ऐसा करके उस युवा मन में पनप रहे विश्वास को मार देते हैं। धीरे-धीरे बच्चा यह मानने लगता है कि मां के झूठ बोलने पर कौआ नहीं काटता, इसलिए यह मुझे भी नहीं काटेगा। में एक उम्र के बाद झूठ बोल सकता हूं। बच्चे को दरवाजे की घंटी या लैंडलाइन फोन कॉल का जवाब देने का निर्देश देना और उससे यह कहना कि कह दो पापा घर पर नहीं हैं, ऊपर से तो एक गैर-नुकसानदेह झूठ लगता है। लेकिन यह बच्चे के दिमाग में यह आधार बनाता है कि समाज छोटे-मोटे झूठों की परवाह नहीं करता। फिर बच्चा झूठ की श्रेणियां गिनता है। यह अच्छे झूठ को बुरे झूठ से अलग करने की कोशिश करता है लेकिन भ्रमित हो जाता है क्योंकि वह देखता है कि माता-पिता, और कई अन्य जगहों पर बस कंडक्टर, वाटर पार्क, टिकटिंग स्टाफ, और कई अन्य जगहों पर झूठ बोलते हैं और धीरे-धीरे वह बोलना उसकी आदत बन जाती है। 

डॉ बी आर नलवाया 
मंदसौर मध्य प्रदेश

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