झूठ की आधारशिला पर अस्थाई संबंध - सीमा शर्मा तमन्ना
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झूठ की आधारशिला पर स्थापित संबंधों की आयु कभी भी लम्बी नहीं होती । आज आधुनिकता के इस परिवेश में हृदय विदारक घटनाओं का सबसे बड़ा कारण भी यही है ! किसी को प्रभावित करने हेतु अथवा उसे अपनी ओर आकर्षित के लिए प्रायः हम न जाने कितने ही झूठ बोलते है ! जब किसी के जीवन में सम्मिलित हो रहे होते तो, उसे कभी भी अपनी कमिया नहीं बताते है । हम वो करते है जो सामने वाले को पसंद हो ! हम वो बोलते है जो सामने वाला सुनना चाहता है !
क्योंकि उस समय हमें झूठ बोल कर उसे अपनी ओर आकर्षित कर लेना अत्यन्त सुखदाई लगता है ! दूसरा,
हमें एक यही मार्ग है जो,सबसे संक्षिप्त एवं सरल एवं
सुगम प्रतीत होता है। किंतु, कहा जाता है न कि,जीवन के अनुभव संक्षिप्त एवं सरल मार्ग से कभी भी प्राप्त नहीं होते ! और यदि होते भी हैं तो वे अधिक समय तक स्थायी नहीं रह सकते !
हम मनुष्य हैं और हमारे मानव स्वभाव में यह सम्मिलित ही होता है कि , किसी को पाने के बाद उसे, पाने की उस प्रबल इच्छा का समाप्त हो जाना ! फिर हमारे मन मस्तिष्क में एक ही बात विकसित होती जाती है और वह यह है कि.... हम जैसे हैं सामने वाला हमें ठीक वैसे ही स्वीकार करे। किंतु हम भूल जाते है कि, सामने वाले के हृदय मे हमारी छवि कुछ औऱ है ! जिसे हमने ही... झूठ बोल बोल कर विकसित किया है !
फिर हमारी छोटी छोटी बातों को लेकर अनबन होनी प्रारंभ होती है ! हमें यही लगता है कि.....एक छोटी सी ही बात तो थीं, सामने वाला इतना विक्षुब्ध क्यों हो गया ! लेकिन, सामने वाला विक्षुब्ध इसलिए होता है कि.... ना सिर्फ आपकी उन बातों में आपकी कमिया रहती है बल्कि.... अतीत में आप उसे झूठ भी बोलते रहे हो ! और यह परम सत्य है कि,आपके व्यक्तित्व का किसी के ऊपर पड़ा पहला प्रभाव ही अंतिम प्रभाव होता है। जो आपकी छवि को धूमिल करने
हेतु पर्याप्त है।
फिर सामने वाले को यह भी लगने लगता है कि आप विश्वास के लायक हो भी या नहीं, आप का एक के बाद
एक झूठ उसे अंदर ही अंदर तोड़ने लगता है,और फिर उसे अनुभव होने लागता है कि जब आप प्रारंभ से इतना झूठे है तो आगे जाने कितना झूठ बोलेंगे !
इसलिए किसी के भी सामने औऱ विशिष्टतया ऐसे संबंधों मे जो आपके जीवन का हिस्सा हो ! सदैव स्वयं को वैसे ही रक्खें जैसे आप हो ! सामने वाला या तो आपकी कमियों के साथ आपको अपनाएगा या फिर उसी समय आपके जीवन से पलायन कर जाएगा ! औऱ इससे आप दोनों मे किसी को दुख अवसाद एवं मानसिक पीड़ा भी ज्यादा नहीं होंगी !
किसी को उसकी कमियों औऱ अच्छाइयों के साथ अपनाया गया संबंध.... दुनिया के सबसे मजबूत संबंधों में से एक होता है ! इसलिए झूठ बोल कर संबंधों का शुभारंभ कर के आप स्वयं को या अन्य किसी और को भी यातना न दें !
अन्यथा यदि आपने अपने संबंधों को पूर्ण निष्ठा के साथ निभाया है और ,फिर भी कोई आपको दुखी कर चला जाता है तो व्यथित न हों, स्वयं का मानसिक उत्पीड़न न करें, दूसरों को उस दुख एवं अवसाद से भरे मन से सकारात्मक भाव न परोसें अपितु आभार व्यक्त कीजिएगा उस ईश्वर का जिसने आपको एक और अवसर प्रदान किया पहले से अति श्रेषठतम इंसान की खोज का ।
सीमा शर्मा तमन्ना
नोएडा उत्तर प्रदेश
क्योंकि उस समय हमें झूठ बोल कर उसे अपनी ओर आकर्षित कर लेना अत्यन्त सुखदाई लगता है ! दूसरा,
हमें एक यही मार्ग है जो,सबसे संक्षिप्त एवं सरल एवं
सुगम प्रतीत होता है। किंतु, कहा जाता है न कि,जीवन के अनुभव संक्षिप्त एवं सरल मार्ग से कभी भी प्राप्त नहीं होते ! और यदि होते भी हैं तो वे अधिक समय तक स्थायी नहीं रह सकते !
हम मनुष्य हैं और हमारे मानव स्वभाव में यह सम्मिलित ही होता है कि , किसी को पाने के बाद उसे, पाने की उस प्रबल इच्छा का समाप्त हो जाना ! फिर हमारे मन मस्तिष्क में एक ही बात विकसित होती जाती है और वह यह है कि.... हम जैसे हैं सामने वाला हमें ठीक वैसे ही स्वीकार करे। किंतु हम भूल जाते है कि, सामने वाले के हृदय मे हमारी छवि कुछ औऱ है ! जिसे हमने ही... झूठ बोल बोल कर विकसित किया है !
फिर हमारी छोटी छोटी बातों को लेकर अनबन होनी प्रारंभ होती है ! हमें यही लगता है कि.....एक छोटी सी ही बात तो थीं, सामने वाला इतना विक्षुब्ध क्यों हो गया ! लेकिन, सामने वाला विक्षुब्ध इसलिए होता है कि.... ना सिर्फ आपकी उन बातों में आपकी कमिया रहती है बल्कि.... अतीत में आप उसे झूठ भी बोलते रहे हो ! और यह परम सत्य है कि,आपके व्यक्तित्व का किसी के ऊपर पड़ा पहला प्रभाव ही अंतिम प्रभाव होता है। जो आपकी छवि को धूमिल करने
हेतु पर्याप्त है।
फिर सामने वाले को यह भी लगने लगता है कि आप विश्वास के लायक हो भी या नहीं, आप का एक के बाद
एक झूठ उसे अंदर ही अंदर तोड़ने लगता है,और फिर उसे अनुभव होने लागता है कि जब आप प्रारंभ से इतना झूठे है तो आगे जाने कितना झूठ बोलेंगे !
इसलिए किसी के भी सामने औऱ विशिष्टतया ऐसे संबंधों मे जो आपके जीवन का हिस्सा हो ! सदैव स्वयं को वैसे ही रक्खें जैसे आप हो ! सामने वाला या तो आपकी कमियों के साथ आपको अपनाएगा या फिर उसी समय आपके जीवन से पलायन कर जाएगा ! औऱ इससे आप दोनों मे किसी को दुख अवसाद एवं मानसिक पीड़ा भी ज्यादा नहीं होंगी !
किसी को उसकी कमियों औऱ अच्छाइयों के साथ अपनाया गया संबंध.... दुनिया के सबसे मजबूत संबंधों में से एक होता है ! इसलिए झूठ बोल कर संबंधों का शुभारंभ कर के आप स्वयं को या अन्य किसी और को भी यातना न दें !
अन्यथा यदि आपने अपने संबंधों को पूर्ण निष्ठा के साथ निभाया है और ,फिर भी कोई आपको दुखी कर चला जाता है तो व्यथित न हों, स्वयं का मानसिक उत्पीड़न न करें, दूसरों को उस दुख एवं अवसाद से भरे मन से सकारात्मक भाव न परोसें अपितु आभार व्यक्त कीजिएगा उस ईश्वर का जिसने आपको एक और अवसर प्रदान किया पहले से अति श्रेषठतम इंसान की खोज का ।
सीमा शर्मा तमन्ना

नोएडा उत्तर प्रदेश

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