Friday, 14 November 2025

चुनाव - गोरक्ष जाधव


चुनाव - गोरक्ष जाधव

नेताओं के झूठे वादे,
मन में उनके खूनी इरादे,
मीठे बोल,जहरीले झोल,
ध्यान वोटों पर, मिश्रि ओठों पर,
खुर्सी का लालच,
जनता की बिगड़ी हालत।

चुनाव का आना, 
वही पुराना उनका  गाना,
मुफ्त बिजली,मुफ्त शिक्षा,
मुफ्त राशन, मुफ्त पानी,
नेताओं की अजब कहानी,

आते ही चुनाव का मौसम,
खाते है माँ-बाप की कसम,
देते महंगाई, गरीबी,रोजगार की हमी,
चुनाव के बाद इन्हें खा जाती हैं जमी।

कितने सारे इनके बहाने,
खुद के  भरते है खजाने,
ये करते है बेटी बचाने के नारे,
बेटियों को कैसे छोड़े इनके सहारे?

चेलों को एक  ही दीक्षा,
मांगो वोटों की भिक्षा,
साम,दाम दंड भेद से,
ले लो  जनता की परीक्षा,

मौका परस्त ये दलबदलू,
गिरगिट की तरह रंगबदलू,
सत्ता के लिए हर करते तिकड़म,
सीधा करते ये अपना उल्लू।

फूलों के हार,मदिरा के ज्वार,
गरीबों से झूठ-मुठ का प्यार,
सत्ता में आते ही हो जाते है नौ दो ग्यारह,
जनता को बस ऊपरवाले का सहारा।

फिर वही पांच साल,
जनता के बुरे हाल,
नेता बने मालामाल,
जनता फिर से कंगाल,

पांच साल बाद फिर झूठे वादें,
फिर इनके चुनावी खूनी इरदे।

गोरक्ष जाधव
मंगलवेढा, महाराष्ट्र

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