Friday, 14 November 2025

राजनीति - उषा शर्मा

राजनीति - उषा शर्मा  

राजनीति की तो सदा से ही रही हर रीत मनमानी है, 
झूठे वादों इरादों की यहाँ  बहे जैसे नदिया पुरानी है। 

चुनावी दौर लाये  झूठे प्रभोलन, जुमलो की बौछारें, 
नेताओं के रगो में बहे खालिस झूठ बनके रवानी है।

जमीनी  हकीकत से दूर, ये स्वार्थ के  पुल हैं बनाते, 
देश को जो बेचते लहू इनका लगे राष्ट्रद्रोही पानी है।

भूलें राष्ट्रहित पद पाते,पापों व धन की गठरी बांधते, 
ना चिंता समाज की कोई,पाखंडियों की कहानी है।

धर्म की निंदा जात-पात,अपराधी कुटिल दाँव चलाते, 
इंसानियत भूलें,बेचते ईमां इन्हें झूठी शान दिखानी है।। 

जातिवाद, राजनैतिक द्वेषों को मिटाने जन क्रांति लाने 
राष्ट्र सर्वोपरि भाव,शांति सिद्धांत की राजनीति बनानी है।

राजनीति की तो सदा से रही हर रीत रही मनमानी है, 
झूठे वादों  इरादों की यहाँ बहती जैसे नदिया पुरानी है। 

धर्म की भर्त्सना जात-पात,अपराधी कुटिल दाँव चलाते, 
इंसानियत भूलें,बेचते ईमान इन्हें झूठी शान दिखानी है। 

© उषा शर्मा 
जामनगर गुजरात 

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