Monday, 24 November 2025

ख़ुशी - नाज़रीन अंसारी ‘राफी’

ख़ुशी - नाज़रीन अंसारी ‘राफी’

ख़ुशी कोई वस्तु नहीं बल्कि जीवन को देखने का नज़रिया है। यह कभी धन में मिलती है, कभी संतोष में, कभी परिवार, दोस्तों के साथ और कभी अपने कर्तव्यों को निभाने में। मनुष्य जीवन में पूर्ण रूप से हमेशा ख़ुश नहीं रह सकता, क्योंकि दुख–सुख जीवन के दो पहिए हैं। दुख हमें मज़बूत बनाते हैं और सुख हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।
मन की मज़बूती सबसे आवश्यक है। शरीर से मज़बूत बहुत लोग होते हैं, पर असली शक्ति मन की होती है। दुख आए तो घबराएँ नहीं, वह हमें सीख देने आते हैं। साफ नियत, ईमानदारी और मेहनत से किया गया हर कार्य सफलता और संतोष देता है। ख़ुशी बाँटने से बढ़ती है, दान, सेवा, सहयोग और प्रेम से ख़ुशियाँ दोगुनी हो जाती है ।
क्रोध से दूरी और प्रेम से नज़दीकी बढ़ती है। जीवन छोटा है, इसे मुस्कान, दोस्ती, मस्ती और बचपन-सी मासूमियत के साथ जीना चाहिए। 
जो हमारे साथ नहीं हुआ उसके लिए दुखी होने के बजाय अपनी कमी ढूँढ़कर उसे दूर कर आगे बढ़ना चाहिए। समय बदलता है, परिस्थितियाँ बदलती हैं, पर हमारे कर्म और चरित्र ही भविष्य बनाते हैं।
ख़ुशी तलाशने से नहीं मिलतीं, बल्कि सही सोच, सही आचरण और सकारात्मक मन से स्वयं रास्ता बनता है। बस इतना याद रहे ख़ुशी है तो जीवन है।

नाज़रीन अंसारी ‘राफी’

दिल्ली

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