राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य मंच हमारी वाणी
साप्ताहिक प्रतियोगिता हेतु
विषय ....मातम
नाम.. महाकवि डा अनन्तराम चौबे अनन्त जबलपुर मध्यप्रदेश
कविता... मातम
समय ने जब
अपना चक्र चलाया
मां के दुखों का अन्त क्षण
भर में कर दिया सफाया ।
सारे रिश्ते नाते
ममता करूणा दया ।
मोह माया के रिश्तों में
ही सिमट कर रह गई ।
कल तक जो सभी के
बीच अचेतन थी
जीवन के अन्त को
क्षण भर में पा गई ।
बस कुछ ही क्षणों में
सभी क्रन्दन में लग गये ।
कुछ बुजुर्ग , ज्ञानी
सारा सच मन ही मन
भाव विभोर हो गये ।
खुशी का माहोल
मातम में बदल गया।
मां के जीवन का क्षण
भर में अंत हो गया ।
सभी जानते है जीवन
का कटु सत्य यही है ।
जीवन के साथ मृत्यु हर
किसी की एक दिन अटल है ।
यहां पर जो भी आया है
एक न एक दिन जायेगा ।
सभी बन्धनों रिश्तो को
यही पर त्याग जायेगा ।
सारा सच कल तक सभी
ममतामयी मां को देखकर
ईश्वर से प्रार्थना दुआ
बंदना भीख मांग रहे थे ।
मृत्यु सैया में पड़े
उस जर्जर शरीर को
दुखी मन से देख रहे थे ।
असीम कष्टों दुखों वेदना
को सहती उस मां को
जो हड्डियों का ढांचा
बनी पड़ी कराहती थी ।
तड़फती थी न जाने
क्या क्या बड़बड़ाती थी ।
होश था न हवास था
खाने की न पीने की
मन मे कोई आस थी ।
क्योंकि अन्त का जो
समय आ गया था ।
जो न किसी ने सोचा था
न किसी ने जाना था ।
मां के जीवन के अन्त ने
सभी को रुला दिया ।
मां के अन्त ने आज
मातम क्षण दिखा दिया ।
अन्त के साथ सभी
क्षण भर में अंतिम
विदाई मे लग गये ।
कुछ अन्त होने की
खबर देने में लग गये ।
कुछ आपसी कुछ
कुछ करीबी कफन की
तैयारी मे लग गये ।
सारा सच कुछ ही समय में
मृत शरीर के ढांचे को
पंच तत्वों मे मिला दिया ।
सभी ने मिलकर कफन का
अंतिम दस्तूर पूरा कर दिया ।
वाह रे जीवन वाह रे
जीवन का ये अन्त
एक दिन सभी का आयेगा ।
और क्षण भर में पंच तत्वों
में विलीन हो जायगा ।
माता पिता भाई बहिन
सभी रिश्ते नातेे यही
पर छूटकर रह जायेगें ।
न कोई तेरा न मेरा
सब यहीं छूट जायेगे ।
बस मातम का माहोल
परिवार में छोड़ जायेंगे।
महाकवि डा अनन्तराम चौबे
जबलपुर म प्र
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