हार - संजय वर्मा"दृष्टि"
तेरे नाम का श्रृंगार किया
तो फूल इतराने लगे
क्योंकि उनके अपने रंग है
उनका अपना श्रृंगार है
मिजाज भी उनके अपने
जो भोरें तितलियों को
बुलाते अपने पास|
तितलियों के पंख से
रंगीन हुआ उपवन
प्रकृति ने ऐसा रंग बरसाया
तब तुम्हारा रूठा चेहरा मुस्काया
जब तेरे नाम का श्रृंगार किया
तब से जली जा रही दुनिया जलन से
तुम्हारे श्रृंगार से हार कर रंगों की दुनिया ने
तुम्हारे रूठे मन को मनाया
जब आज
दुनिया से हार कर
मैने तेरे नाम से प्यार किया|
संजय वर्मा"दृष्टि"
मध्य प्रदेश

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