Tuesday, 23 December 2025

भक्ति - महाकवि अनन्तराम चौबे अनन्त


राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य मंच हमारी वाणी साप्ताहिक प्रतियोगिता हेतु 

भक्ति - महाकवि अनन्तराम चौबे अनन्त

भक्त और भगवान के बीच 
भक्ति भावना आ गई ।

सिवरी की भक्ति को देखो
जूठे बेर खिलाती गई ।

भक्त की ऐसी भक्ति भावना 
भक्त के साथ में हो गई ।

भक्ति कर लो राम नाम की
जीवन सफल हो जायेगा ।

सीताराम भजन करो
हर मुश्किल कट जायेगी ।

पत्थर की थी अहिल्याबाई
चरण के छूते तर गई भाई ।

राम नाम की ऐसी ही भक्ति
पत्थर भी पानी में तेरे भाई । 

जय श्रीराम का नाम वो लेकर 
कोई कार्य शुरू सब करते हैं ।

सिवरी की कुटिया में जाकर
जूठे बेर सिवरी के खाएं ।

श्रीराम के दर्शन पाकर ही
सिल्ली भी व्रह्मलीन हो गई 

जात पात का भेद न करते
मर्यादा में अपनी रहते ।

महाबली बजरंग बली भी
राम नाम की भक्ति करते ।

भक्ति से भगवान बने थे ।
ऐसे वो बजरंग बली थे ।

सियाराम के प्रिय भक्त थे ।
भक्ति का वो मार्ग चुने थे ।

बुद्धि विवेक दाता है
शिव अंश अवतारी है ।

राम काज में समर्पित हैं
ऐसे वो हित कारी  हैं ।

विभीषण भी राम भक्त थे
श्रीराम राम के कृपापात्र बने।

रावण की मृत्यु के बाद में
लंका के राजा भी बने ।

ईश्वर की जो भक्ति करता 
मोक्ष भी वही पा जाता है ।

सारे दुख संकट दूर हो जाते
जीवन सफल हो जाता है ।

मां पार्वती ने शिव शक्ति करके
शिव शंकर को पति रूप में पाया ।

शिव शंकर की अर्धांगिनी बनकर 
मां जगत जननी स्वरूप पाया  ।

 महाकवि अनन्तराम चौबे अनन्त 
   जबलपुर म प्र

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