राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य मंच हमारी वाणी साप्ताहिक प्रतियोगिता हेतु
भक्ति - महाकवि अनन्तराम चौबे अनन्त
भक्त और भगवान के बीच
भक्ति भावना आ गई ।
सिवरी की भक्ति को देखो
जूठे बेर खिलाती गई ।
भक्त की ऐसी भक्ति भावना
भक्त के साथ में हो गई ।
भक्ति कर लो राम नाम की
जीवन सफल हो जायेगा ।
सीताराम भजन करो
हर मुश्किल कट जायेगी ।
पत्थर की थी अहिल्याबाई
चरण के छूते तर गई भाई ।
राम नाम की ऐसी ही भक्ति
पत्थर भी पानी में तेरे भाई ।
जय श्रीराम का नाम वो लेकर
कोई कार्य शुरू सब करते हैं ।
सिवरी की कुटिया में जाकर
जूठे बेर सिवरी के खाएं ।
श्रीराम के दर्शन पाकर ही
सिल्ली भी व्रह्मलीन हो गई
जात पात का भेद न करते
मर्यादा में अपनी रहते ।
महाबली बजरंग बली भी
राम नाम की भक्ति करते ।
भक्ति से भगवान बने थे ।
ऐसे वो बजरंग बली थे ।
सियाराम के प्रिय भक्त थे ।
भक्ति का वो मार्ग चुने थे ।
बुद्धि विवेक दाता है
शिव अंश अवतारी है ।
राम काज में समर्पित हैं
ऐसे वो हित कारी हैं ।
विभीषण भी राम भक्त थे
श्रीराम राम के कृपापात्र बने।
रावण की मृत्यु के बाद में
लंका के राजा भी बने ।
ईश्वर की जो भक्ति करता
मोक्ष भी वही पा जाता है ।
सारे दुख संकट दूर हो जाते
जीवन सफल हो जाता है ।
मां पार्वती ने शिव शक्ति करके
शिव शंकर को पति रूप में पाया ।
शिव शंकर की अर्धांगिनी बनकर
मां जगत जननी स्वरूप पाया ।
महाकवि अनन्तराम चौबे अनन्त
जबलपुर म प्र
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