Tuesday, 23 December 2025

स्वतंत्रता संग्राम - महाकवि डा अनन्तराम चौबे अनन्त


राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य मंच हमारी वाणी  साप्ताहिक प्रतियोगिता हेतु 
कविता... स्वतंत्रता संग्राम - महाकवि डा अनन्तराम चौबे अनन्त

वाली उम्र में लक्ष्मी बाई 
स्वतंत्रता संग्राम में आगे आई ।
विलक्षण प्रतिभा निडर साहसी 
क्रांतिकारी ऐसी थी लक्ष्मीबाई ।

बड़े बड़े बीर योद्धा राजा 
महाराजा अंग्रेजों से डरते थे ।
एक छोटी लड़की लक्ष्मीबाई से 
ही अंग्रेज  भयभीत रहते थे  ।

आजादी जिसने दिलवाई 
वो महारानी लक्ष्मीबाई थी।
खूब लड़ी मर्दानी वो तो
झांसी वाली महारानी थी।

महारानी ने बलिदान दिया था
शत शत नमन हम करते है ।
स्वतंत्रता की मशाल जलाई
हम उनको को शीश नवाते है ।

अंग्रेजो  की सही गुलामी
उसकी यही कहानी थी  ।
 सारा सच आजादी को पाने 
की लक्ष्मीबाई ने ठानी थी ।

सबसे पहले अग्रेजों से
अकेले ही लड़ी लड़ाई थी ।
पेशवा घर में जन्मी थी
वो रानी लक्ष्मी बाई थी ।

होश संभाला था जबसे
बस आजादी की ठानी थी ।
पढ़ने के ही साथ में उसने
युद्ध कला भी सीखी थी ।

तलवार बाजी बचपन में सीखी
और अग्रेजों को ललकारी थी
मन ही मन में युद्ध की ठानी थी
ऐसी आजादी की वो योद्धा थी ।

 स्वतंत्रता संग्राम  करने
की सबने मन में ठानी थी ।
सारा सच है आजादी की वो 
महायोद्धा लक्ष्मीबाई रानी थी ।

गंगाधर राव पति उनके थे
झांसी के वो महाराजा थे ।
सारा सच राजा रानी ने मिल
कर अग्रेजों से लड़ी लड़ाई थी ।

गलत फेमी के कारण राजा ने
रानी को महल से निकाला था ।
सारा सच  है फिर भी रानी ने 
साहस हिम्मत से काम लिया था।

महिलाओं को युद्ध प्रशिक्षण 
देकर युद्ध कला सिखलाई थी ।
राजा का जब शक दूर हुआ
तब रानी महल में फिर आई थी।

राजा के खोये हुए मनोबल को
रानी ने फिर हिम्मत दिलवाई थी  ।
पर दुर्भाग्य ने साथ न छोड़ा और
राजा ने वीरगति भी पाई थी ।

अग्रेजों से लड़ते लड़ते
स्वमं ही जान गवाई थी ।
मरते मरते स्वतंत्रता संग्राम की
रानी ने मशाल जलाई थी ।

चन्द्रशेखर, राजगुरू और
भगतसिंह ने भी जलाई थी ।
सुभाषचन्द्र बोस, गांधी के 
आन्दोलन से आजादी पाई थी ।

15 अगस्त 1947 को
देश ने  स्वतंत्रता पाई थी ।
वीर शहीदों के बलिदान से
देश में आजादी आई थी ।

सभी शहीदों बलिदान से 
को शत शत नमन हम करते हैं।
महिलाओं की प्रेरणा श्रोत थी
श्रद्धा से चरण वंदन करते है।

 महाकवि डा अनन्तराम चौबे अनन्त 
    जबलपुर म प्र

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