भारत - कवयित्री राजवाला पुंढीर
यह देश हमारा भारत,
है जग में न्यारा
हम वास करें इसमें
हमको है अति प्यारा।
सोने की चिड़िया भी
इसको सब कहते थे
कश्मीरी शोभा पै
मरते हैं मरते थे
भारत के वासी हैं
हम में है भाईचारा
हम जिएं मरें इसमें
हमको है अतिप्यारा।
संस्कार खजाना इसका,
हम सब की शान है
नारी लज्जा आभूषण
नारी की शान है
यहां की सती नारी से
यमराज भी हारा
सती ने बचाए प्राण पति
बोली यम जयकारा।
इस देश की धरती मां
उगले सोना चांदी
पर्वत हिमालय चोटी
रोके तूफान आंधी
दीखे सावन हरियाली
बादल बरसे धारा
हम झूम- झूम नाचें
हमको है अति प्यारा।
इस भारत में बेटी
मानी जाती है देवी
नवदुर्गा पूजा में
पुजती संग कन्या देवी
पग पड़ते हैं इनके तो
आशीष मिले सारा
यह देश की है रीति
हमको है अति प्यारा।
प्रभु ने अवतार लिए
उनको भी अति भाया
यहां राम- कृष्ण जन्मे
अद्भुत है प्रभु माया
रावण,कंस को प्रभु ने
भारत में ही संहारा
है देश ऋषि मुनियों का
हमको है अति प्यारा।
यहां गीता भागवत को
सम्मान दिया जाता
सत्संग होता है यहां पर
यहां ज्ञान दिया जाता
कहती है पुंढीर यहां
बहे प्रेम की धारा
हर जन्म मिले भारत में
हमको है अति प्यारा।
स्वरचित
कवयित्री राजवाला पुंढीर
एटा,उत्तरप्रदेश

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