बेखबर है वो - निर्मला सिन्हा निशा
वो देखता है छिपकर मुझे
मुझे खबर है, बेखबर है वो।
अपनी बातों से करता परेशान मुझे
मुझे ख़बर है मुझे समझता नादान है वो।
मेरे चेहरे से आंख उसकी हटती नहीं
मुझे खबर है,मेरा दिवाना है वो।
वो देखता है, छिपकर मुझे
मुझे खबर है, बेखबर है वो।
बेकरारी से इकरार ना कर बैठे
मुझे खबर है, मेरे लिए पागल है वो।
नहीं करेगा वो कभी मोहब्बत का इजहार
मुझे खबर है मेरी परवाह करता है वो।
सजाना चाहता है,मांग में चांद तारे मेरे।
मुझे खबर है ऊंच नीच की दीवार से डरता है वो।
उसके धड़कते दिल की धड़कन सुनने को बैचेन हूं मैं।
मुझे खबर है मुझसे कही ज्यादा बेताब है वो।
वो देखता है छिपकर मुझे
मुझे खबर है बेखबर है वो।
स्वरचित
स्वतंत्र लेखिका कवयित्री
निर्मला सिन्हा निशा
डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़

No comments:
Post a Comment