सादर प्रेषित एक कविता
परिवर्तन - छाया त्रिपाठी
पर रखना होगा थोड़ा संयम
होता परिवर्तित दिन महीना साल
एक उम्र के साथ बदल जाती चाल
समय के साथ कुछ खोते कुछ पा लेते
अपने बिछड़ जाते तो पराए अपना लेते
इच्छा हो यदि सबका साथ मिले
त्याग दे पहले सभी अपने उलाहने
समय से पहले कुछ मिला नहीं
आधा अधूरा कभी पूरा नहीं
जरूरी है नई दिशा नई सोच
एक सकारात्मक कर्तव्य निष्ठा
कुछ नया करने की तीव्र इच्छा
सभी लोगों की सहमति व ज्ञान
रखना होगा सभी का सम्मान
और फिर परिवर्तन स्वयं आएगा।
छाया त्रिपाठी 

स्व रचित एवं मौलिक

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