मेरी कविता है “आधार कार्ड ” - ऋतु रस्तोगी
बारह आँको की पहचान सबकी ,
हर चेहरा लेकर आए नई उन्नति ।
पता नाम और छाप उँगली की,
सच्ची नागरिकता से प्रगति देश की ।
कौन ग़रीब है, कौन अमीर है,
एक सूची में सब वी विधित है ।
हक़ नागरिकता का “आधार “,
एक विचार मज़बूत आधार ।
सरकारी योजनाओं का लाभ ,
झूठा नहीं मिले सच्चा भाव ।
देशहित का बने आधार,
हर नागरिक को मिले अधिकार ।।
ऋतु रस्तोगी

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