Monday 13 November 2023

ऐसे ही मनाऊं मैं - प्रा. गायकवाड विलास

 























सारा सच प्रतियोगिता के लिए रचना*
**विषय: चंद्रमा**

**ऐसे ही मनाऊं मैं**
   **** ** ***** **
(छंदमुक्त काव्य रचना)

चंद्रमा की शीतलता रहे,मेरे संसार में हरपल
ना आएं कभी आंधियां और सुखों से भरा हो आंचल।
सुहागनों का ये त्यौहार जीवन में लाएं खुशियों की बहार,
जीवनसाथी के लंबी उम्र आके लिए पत्नी मनाएं तन मन से ये त्यौहार।

करके शृंगार,हाथों में पहनें हुए रंग-बिरंगी चूड़ियां,
कुमकुम तिलक मांग में भरकर,माथे पे बजे बिंदिया।
पुरे दिन अनशन करके,राह देखें वो चंद्रमा की,
जब निकल आएं चांद आसमां में,पुजा करें वो अपने जीवनसाथी की।

पल-पल मिलता रहे साथ,यही मांगती है वो दुवाएं,
सदा चमकती रहे माथे की बिंदिया यही होती है उनकी आशाएं।
जहां भी जाऊं संग तुम्हें पाऊं और न चाहे वो कोई,
चांद और चांदनी बनके ही जिंदगी का ये सफ़र ख़त्म हो जाएं।

करवाचौथ का ये व्रत सुहागनों के लिए है सबसे प्यारा,
जीवनसाथी के बिना हर ख़्वाब है उनका जीवन में अधूरा।
कोमल नाज़ुक रिश्तों की ये डोर कभी ना टूट जाएं,
बस इतनी सी तम्मन्ना लिए दिल में वो हरपल खिलखिलाएं।

सांसों के संग सांसों का बना ये अनुपम रिश्ता सुन्दर,
उसी रिश्तों के संग ही साथ चलें ये जिंदगी उम्र भर।
सुहागनों का सिन्दूर ही उनके लिए है सबसे श्रेष्ठ गहना,
उसी सिन्दूर के बिना मुश्किल बना है यहां सभी नारियों का जीना।

चंद्रमा की शीतलता से सदा हंसती रहे जीवन में,
उसी उजालों से भर जाएं ये मेरा प्यारा घर आंगन।
जब तक चलती रहे सांसें, बिछड़ ना जाएं हम एक-दूसरे से,
यही साधना आराधना करके सदा बनी रहूं मैं सुहागन।

चांद बिना चांदनी अधूरी है इस प्रेममय संसार में,
गीत बनके ओठों पर आएं नाम उनका यही इस दिल की आरजू है।
हृदय में सांसें बनकर हरपल धड़कती रहे,मेरे साजन की प्रीत,
ऐसे ही मनाऊं मैं करवाचौथ सालों साल,यही मेरे लिए अनुपम उपहार है।

प्रा.गायकवाड विलास.
मिलिंद महाविद्यालय लातूर.
      महाराष्ट्र

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