होली गीत
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आओ साजन खेलें होली,
करें आज अब हंसी ठिठोली।
राग द्वेष सब छोड़ चलें हम,
प्यार स्नेह अनुराग गूंथे हम,
मन के पोरों को रंग लें हम,
भर ले हम खुशियों से झोली।
आओ साजन खेलें होली
करें आज फिर हंसी ठिठोली।
हृदयांगन को करे गुलाबी
दुख संताप को पीछे छोड़ें,
मन के तार पे होरी गाएं,
आज बनें हम फिर हमजोली।
आओ साजन खेलें होली,
करें आज फिर हंसी ठिठोली।
तन को तो हर बार छुआ है
मन क्यूं है अब तक अनछुआ,
इस होली में तन मन रंग दो
मन आंगन में बने रंगोली।
आओ साजन खेलें होली
करें आज फिर हंसी ठिठोली।
स्वरचित व मौलिक
कंचन माला ' अमर’(उर्मी)
Delhi
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