महाकुंभ हिंदू संस्कृति का सबसे बड़ा पर्व -
प्रदीप कुमार नायक
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स्वतंत्र लेखक एवं पत्रकार
*1882 में सिर्फ 20 हजार रुपये में महाकुंभ का आयोजन हुआ था , 2025 में इस पर 7500 करोड़ रुपये का खर्च आएगा l*
*महाकुंभ हिंदू संस्कृति का सबसे बड़ा पर्व माना गया है l कहते हैं जो महाकुंभ में गंगा स्नान कर जप-तप करता है उसके लिए मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं.l*
*12 साल में महाकुंभ का आयोजन होता है, वहीं 144 सालों बाद पूर्ण महाकुंभ आता है। इसका महत्व बहुत ज्यादा होता है और ये कई दुर्लभ संयोग लेकर आता है।*
*महाकुंभ मेला, हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक, और उज्जैन में आयोजित होने वाला एक धार्मिक और सांस्कृतिक मेला है l*
*कुंभ मेले से जुड़ी कुछ खास बातें:*
* कुंभ मेले के चार प्रकार होते हैं - कुंभ, अर्ध कुंभ, पूर्ण कुंभ, और महाकुंभ l
* महाकुंभ मेला 144 साल में एक बार लगता है l
* पूर्ण कुंभ मेला 12 साल में एक बार लगता है l
* अर्ध कुंभ मेला हर 6 साल में एक बार लगता है l
* कुंभ मेले का आयोजन कब और कहां होगा, यह ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है l
* साल 2025 में महाकुंभ मेले का आयोजन 13 जनवरी से 26 फ़रवरी तक प्रयागराज में होगा l
* साल 2025 में प्रयागराज में लगने वाला महाकुंभ पूर्ण कुंभ है l
* शास्त्रों के मुताबिक, जब बृहस्पति वृषभ राशि में होते हैं और सूर्य मकर राशि में होते हैं, तब प्रयागराज में महाकुंभ लगता है l
*हिंदू धर्म के अनुसार, जब बृहस्पति देव कुंभ राशि में और सूर्य देव मेष राशि में प्रवेश करते हैं, तो कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है. प्रयागराज का कुंभ मेला सभी मेलों में ज्यादा महत्व रखता है.l*
■ कुंभ का अर्थ है- कलश. ज्योतिष शास्त्र में कुंभ राशि का भी यही चिह्न होता है.
■ महाकुंभ कुंभ मेला हर 12 साल में चार प्रमुख नदियों- गंगा, यमुना, गोदावरी और शिप्रा के तट पर लगता है. इसके साथ ही कुंभ मेला 4 पवित्र नगरी प्रयागराज, उज्जैन, हरिद्वार और नासिक में ही लगता है l
■ इस साल महाकुंभ मेला प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हो चुका और 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन समाप्त होगा l
■ समुद्र मंथन के दौरान सागर से अमृत और विष के साथ कई रत्न निकले थे l देवताओं और राक्षसों ने इन सभी चीजों को आपस में बांटने का फैसला लिया l
■ समुद्र मंथन के दौरान बहुमूल्य अमृत कलश पाने के लिए देवताओं और राक्षसों के बीच 12 दिनों तक लड़ाई हुई थी l
■ असुरों से अमृत कलश को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने वह कलश अपने वाहन गरुड़ को दे दिया l
■ इस लड़ाई के दौरान जब दानवों ने गरुड़ से इस अमृत कलश को छिनने की कोशिश की तो उसमें से कुछ बूंदें 12 जगहों पर गिरी थीं, जिनमें से चार जगह पृथ्वी पर और आठ जगह देवलोक में l पृथ्वी की यही 4 जगह प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक थीं l
■ इन 4 चारो जगह पर अमृत की बूंदे गिरी थीं, तो वहां की नदियां अमृत में बदल गई थीं l इसी कारण दुनिया भर के तीर्थयात्री स्नान करने के लिए कुंभ मेले में आते हैं और इन्हीं 4 जगहों पर कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है l
धर्म और आस्था का सबसे बड़ा समागम महाकुंभ 2025 प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हो चुका है l देश और दुनिया के कोने-कोने से इस बार महाकुंभ में लगभग 40 से 45 करोड़ श्रद्धालु संगम तट पर आस्था की डुबकी लगाने के लिए आने वाले हैं l धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाकुंभ में स्नान के साथ ही अन्न दान का भी विशेष महत्व है।
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