Sunday, 28 September 2025

विवाह में आस्था - रक्षा सिन्हा

 

विवाह में आस्था - रक्षा सिन्हा

कुछ प्रेम विवाह होते हैं तो कुछ व्यवस्थित। चाहे कोई भी विवाह हो, वह सफल तब बनता है जब उस रिश्ते में पूर्ण समर्पण या आस्था हो। विवाह कैसा भी हो, आगे आकर उसमें बु‌द्धिमता, समन्वय व सम्मान होना अति आवश्यक है। विवाह के कुछ समय पश्चात दोनों ही साथी, जिम्मेदारियों के बोझ तले कई बार अपना धैर्य खो बैठते हैं। प्रेम कहीं लुप्त हो जाता है और कई बार लगता है की कदाचित यह विवाह एक गलत निर्णय था। उस समय यदि पीछे मुड़कर रिश्ते की नींव को एक बार फिर से याद किया जाए या उससे जुड़े हुए लोगों में हमारी जो आस्था है, आदर है, उसको जीवन में आए बवंडर का संबल मान लिया जाए तो विवाह दिव्य बन जाता है। मात्र प्रणय सूत्र में बंधना काफी नहीं, उसे तटस्थता से निभाना बड़ी बात है और जब प्रेम कमजोर पड़ने लगता है तब आस्था प्रेम का निर्वाह करती है। आस्था प्रेम को मजबूत, स्थायी व अक्षुण बनाती है। क्योंकि तब उसमें विश्वास, समर्पण व श्रद्‌धा की गहराई समाहित होती है। अतः आस्था एक सफल विवाह की कंजी है। तो विवाह में जब प्रेम कम पहने लगे तब उसे आस्था की नजर से देखना उसे दार्शनिक बना देता है।

रक्षा सिन्हा
गाजियाबाद

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