Saturday, 27 September 2025

काश! वे लौट आएं - ऋचा गिरि

 


काश! वे लौट आएं

किसको पता था ?
ये गति एक दिन त्रासदी लाएगी।
उन्हें जाना था अपनों से दूर,
पर इतनी भी दूर नहीं कि वे
लौट ना सकें।
विकास इतना क्षमतावान नहीं हो पाया,
कि इस विभीषिका को रोक सके,
इसे पलट सके,
उन पलों को प्रत्यागत करे
जहाँ सेल्फी ली थी,
जहाँ खुशियाँ अपने शिखर पर चहचहा रही थी,
जहाँ से शुरुआत हुई थी।
काश!…
अभ्युदय की सीढ़ियाँ,
इतनी शीर्षस्थ हों
यदि मानव पंख लगाए,
कहीं दूर अदृश्य हो जाए।
तो उसे वापस ला सके
वहीं पर जहां से शुरुआत हुई थी…॥

ऋचा गिरि
दिल्ली

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